बिहार में इलेक्ट्रिक चाक पर तैयार हो रहे मिट्टी के बर्तन, कर्नाटक से सीखकर आए कुम्हार दे रहे कईयों को ट्रेनिंग
Sucess Story: बिहार के भोजपुर में जहां एक तरफ मिट्टी कारोबारी अपने पुश्तैनी काम को छोड़कर अन्य कामों की तलाश में जुटे हैं. वहीं दूसरी तरफ आरा के सदर प्रखंड के जमीरा के रहने वाले राम बहादुर पंडित खादी ग्राम उद्योग प्रशिक्षण लेकर खुद का मिट्टी बर्तन बना अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
Sucess Story: बिहार के भोजपुर में जहां एक तरफ मिट्टी कारोबारी अपने पुश्तैनी काम को छोड़कर अन्य कामों की तलाश में जुटे हैं. वहीं दूसरी तरफ आरा के सदर प्रखंड के जमीरा के रहने वाले राम बहादुर पंडित खादी ग्राम उद्योग प्रशिक्षण लेकर खुद का मिट्टी बर्तन बना अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही विभिन्न जिलों में कुम्हारों को ट्रेनिंग भी देकर खूब पैसे कमा रहे हैं. दरअसल, आज के परिस्थिति में मिट्टी के बर्तन और अन्य सामग्री बनाने वाले कुम्हार अपने पुस्तैनी बिजेनस को छोड़ रहे है और कमाने का दूसरा जरिया अपना रहे है. वहीं, दूसरी तरफ राम बहादुर पंडित ने भारत सरकार के खादी और ग्रामोद्योग आयोग के मदद से कर्नाटक के केंद्रिय ग्रामीण कुम्हार संस्थान में जाकर मास्टर डिग्री लिया.
होलसेल में बेच कमा रहे मुनाफा
राम बहादुर पंडित बिहार वापस आकर अपने पुस्तैनी काम को आधुनिक तरीके से कर रहे है. साथ ही महीने के 25 से 30 हजार मिट्टी की सामग्री होलसेल में बेच मुनाफा कमा रहे है. इसके अलावा राम बहादुर पंडित खादी ग्राम उद्योग के तहत दिए जाने वाले ट्रेनिंग सेंटर का हिस्सा ट्रेनर के तौर पर बन उससे भी अच्छी आमदनी कर रहे है. जमीरा के कुम्हार राम बहादुर पंडित ने जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि एक समय ऐसा था जब उनका भी मिट्टी कारोबार और पुस्तैनी धंधे से मन ऊब चुका था. लेकिन उसी बीच किसी ने बताया कि वह मिट्टी से जुड़े काम मे मास्टर ट्रेनिंग कर लेंगे तो उनके पास अच्छा रोजगार का साधन हो जायेगा. इसके बाद राम बहादुर पंडित ने अपना पंजीकरण कराया. साथ ही कर्नाटक चले गए, जहां 20 दिन रह कर मास्टर ट्रेनिंग लिया.
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आधुनिक चाक के जरिए कारोबार
गौरतलब है कि राम बहादुर पंडित बिहार में आधुनिक चाक और इलेक्ट्रिक चाक के जरिये मिट्टी के कारोबार में जुट गए है. अब यह कम समय और कम मेहनत में ज्यादा मिट्टी के समान बना रहे है. जिसको अन्य करोबारी को होलसेल रेट में बेचा जा रहा है. सरकार के द्वारा भी ऑर्डर कर मिट्टी के कप, बोतल इत्यादि समान बनाने का ऑर्डर दिया जाता है. इसमे अच्छी बात ये है कि अगर ऑर्डर के हिसाब से ज्यादा बन गया या समान नहीं बिका तो रामबहादुर पंडित बचे हुए समान को पटना खादी ग्रामोद्योग आयोग में जमा कर देते है. इससे वह उसका पैसा भी ले सकते है. इसके साथ ही मास्टर ट्रेनिंग करने के वजह से बिहार में जहां भी कुम्हारों को खादी ग्रामउद्योग आयोग के द्वारा ट्रेनिंग दी जाती है. वहां रामबहादुर पंडित जाते हैं. साथ ही 20 दिन का 10 हजार रुपया चार्ज लेते है. ऐसे में खुद के समान बिक्री कर 25 से 30 हजार की आमदनी करने के साथ प्रशिक्षण के द्वारा भी प्रति महीना 10 हजार की इनकम हो जाती है.