बिहार के गोपालगंज जिले में राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से हेराफेरी का खुलासा हुआ है. नाम का खेल अजब निराला है. चुनाव हारने वाली महिला ने जीत का प्रमाण पत्र लेकर पांच वर्षों तक पंचायत की योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया. अब चुनाव जीतने वाली महिला न्याय के लिए अधिकारियों के पास चक्कर लगा रही है. निर्वाची पदाधिकारी की भूल के कारण चुनाव जीतने वाली महिला अपने हक से वंचित रह गयी.
इस बात का पछतावा उसे जीवन भर रहेगा कि चुनाव जीत कर भी अपने वोटरों के प्रति कुछ नहीं कर सकी. यह वाक्या है मांझा प्रखंड की मांझा पूर्वी पंचायत के वार्ड नं छह लगंटूहाता का. जहां वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव में पांच लोगों ने वार्ड सदस्य पद के लिए उम्मीदवारी का पर्चा भरा. जिसमें रमेश महतो की पत्नी लीलावती देवी तथा राजेंद्र महतो की पत्नी लीलावती देवी भी शामिल थीं.
चुनाव के दौरान रमेश महतो की पत्नी लीलावती देवी को 89 वोट मिले. जबकि राजेंद्र महतो की पत्नी लीलावती देवी को 69 वोट मिले. निर्वाची पदाधिकारी ने राजेंद्र महतो की पत्नी लीलावती देवी को जीत का प्रमाण पत्र दे दिया. राजेंद्र महतो की पत्नी चुनाव हारने के बाद भी वार्ड सदस्य बनकर वार्ड क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष पद को संभालते हुए योजनाओं का संचालन भी किया.
इस बीच रमेश महतो की पत्नी फिर वार्ड सदस्य का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट को खोला तो उसके होश उड़ गये. आयोग की वेबसाइट पर वार्ड सदस्य में लीलावती देवी पति रमेश महतो दर्ज मिला. लीलावती ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी से आहत होकर बीडीओ, डीएम व राज्य निर्वाचन आयोग से जांच करा कर दोषी अधिकारी व कर्मी पर कार्रवाई की अपील की है, ताकि दोबारा कोई ऐसी गलती न करे.
गोपालगंज के डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने कहा कि अब तो पंचायत चुनाव होना है. महिला के आरोपों की जांच करायी जायेगी. आरोप अगर सही निकला तो दोषी अधिकारी व कर्मी के विरूद्ध त्वरित कार्रवाई की जायेगी. यह अत्यंत गंभीर मामला है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha