बिहार पहले भी बना है विपक्षी एकता का केंद्र, जानें कौन-कौन पार्टियां थीं इसमें शामिल

Bihar News: बिहार एक बार फिर विपक्षी एकता का केंद्र बन गया है. चार राज्यों के मुख्यमंत्री बिहार पहुंचे है. इनमें बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, पंजाब के सीएम भगवंत मान और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शामिल है. लेकिन, इससे पहले भी बिहार विपक्षी एकता का केंद्र रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2023 11:37 AM
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Bihar News: बिहार एक बार फिर विपक्षी एकता का केंद्र बन गया है. चार राज्यों के मुख्यमंत्री बिहार पहुंचे है. इनमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शामिल है. इनके अलावा जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री भी पटना पहुंची है. कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों के नेता बिहार में अपना-अपना मतभेद भूलकर एक साथ आ गयी हैं. इस बार इनका लक्ष्य साल 2024 के चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाना है. बिहार की धरती पर 15 दलों का महाजुटान हुआ है.

बिहार पहले भी रहा है विपक्षी एकता का केंद्र

मालूम हो कि इससे पहले भी बिहार केंद्रीय सत्ता के खिलाफ विपक्षी एकता का केंद्र रहा है. साल 1967 में केंद्र की सरकार के खिलाफ डॉ मनोहर लोहिया ने छोटे दलों को एकजूट किया था. इसी का असर हुआ था कि क्रांति दल जैसी सीमित जनाधारवाली पार्टी के महामाया प्रसाद से तत्कालीन मुख्यमंत्री चुनाव हार गये थे. संयुक्त समाजवादी दल (संसोपा) के नेता कर्पूरी ठाकुर उपमुख्यमंत्री बनाये गये थे. वो तीन सीट जीतकर सरकार में आये थे और महामाया प्रसाद सीएम बन गये थे.

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जेपी ने केंद्र सरकार के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का दिया नारा

वर्ष 1974 में लोक नायक जयप्रकाश नारायण ने केंद्र की सरकार के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था. उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी. जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में दलों की सीमायें टूट गई थी. उस दौरान कई दलों का विलय करके 23 जनवरी 1977 में जनता पार्टी का गठन हुआ था. जिसके बाद, चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. जनता पार्टी में जनसंघ का विलय हुआ था. उस दौरान जयप्रकाश नारायण ने महंगाई, बेरोजगारी और लोकतंत्र की रक्षा जैसे मुद्दों पर आंदोलन की शुरूआत की थी. यह एक बड़ा संयोग है कि इस बार भी विपक्षी दलों का मुद्दा यही है.

Published By: Sakshi Shiva

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