बिहार STF ने अफीम की अवैध खेती के खिलाफ चलाया अभियान, जानें क्यों नक्सली उगाते है ये फसल
Bihar News: बिहार नक्सली एसटीएफ ने रविवार को अफीम की खेती के खिलाफ अभियान चलाया. एसटीएफ ने ऐसा नक्सलियों के वित्त प्रवाह को रोकने के लिए किया है. अफीम की अवैध खेती के खिलाफ अभियान तेज हो गया है.
Bihar News: बिहार नक्सली एसटीएफ ने रविवार को अफीम की खेती के खिलाफ अभियान चलाया है. एसटीएफ ने ऐसा नक्सलियों के वित्त प्रवाह को रोकने के लिए किया है. अफीम की अवैध खेती के खिलाफ अभियान तेज हो चुका है. राज्य में नक्सलियों तक वित्त प्रवाह रोकने के लिए पुलिस ने गया, औरंगाबाद और जमुई जिले में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को तेज कर दिया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया है कि विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने अन्य सुरक्षाबलों के साथ मिलकर व्यापक नक्सल रोधी अभियान चलाया है. इसी कारण हथियारों की आपूर्ति बाधित हुई है और राज्य में सशस्त्र उग्रवादियों की संख्या में भारी कमी आई है.
गुप्त रूप से अफीम की खेती की मिली सूचना
एसटीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी-ऑपरेशंस) सुशील मानसिंह खोपड़े ने बताया कि “अब बिहार पुलिस ने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) और राज्य सरकार के अन्य विभागों के साथ मिलकर गया, औरंगाबाद और जमुई जिले में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है.” एडीजी के मुताबिक, कानून प्रवर्तकों द्वारा हर साल कई सौ एकड़ में बोई गई अफीम की फसल को नष्ट किए जाने के बावजूद गया, औरंगाबाद और जमुई के कुछ इलाकों में गुप्त रूप से अफीम की खेती किए जाने की जानकारी मिली है.
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भारत में अफीम की खेती प्रतिबंधित
उन्होंने कहा कि “यह भी पता चला है कि नक्सली इन इलाकों में अफीम की खेती आय के स्त्रोत के रूप में कर रहे हैं. उन्होंने अफीम की खेती करने वालों और छोटे उद्यमियों पर ‘कर’ भी लागू किया है. कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने 2021 में इन इलाकों में करीब 600 एकड़ और 2022 में लगभग 1200 एकड़ में बोई गई अफीम की फसल को नष्ट किया था.” भारत में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 की धारा-8 के तहत अफीम की खेती प्रतिबंधित है.
अफीम की खेती पर कड़ी नजर
एडीजी ने कहा है कि “संबंधित जिला पुलिस और अन्य एजेंसियों को जिले के इन चुनिंदा इलाकों में गुप्त रूप से की जाने वाली अफीम की खेती पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया गया है.” सुशील मानसिंह खोपड़े ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल में बिहार के छह जिलों को नक्सलवाद प्रभावित जिलों की सूची से बाहर कर दिया है और राज्य में नक्सली अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में अभी सिर्फ 10 जिले नक्सलवाद प्रभावित जिलों की सूची में शामिल हैं.
खोपड़े के अनुसार, “आने वाले महीनों में नक्सलवाद प्रभावित जिलों की संख्या में और कमी आएगी. इस साल जून माह तक राज्य में कोई भी बड़ा नक्सली हमला नहीं हुआ है.” उन्होंने बताया है कि “सशस्त्र नक्सली मुख्यत: झारखंड के पास गया-औरंगाबाद सीमा पर स्थित छकरबंधा की पहाड़ियों और जमुई तथा लखीसराय-मुंगेर के पहाड़ी इलाकों तक सिमटकर रह गए हैं. एसटीएफ और केंद्रीय बलों ने उन्हें वहीं तक सीमित कर दिया है. हम जल्द ही इन इलाकों को भी नक्सलवाद मुक्त कर देंगे.”
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46 एकड़ में फसल किया था नष्ट
मालूम हो कि गया और औरंगाबाद के नक्सल प्रभावित इलाकों में चोरी-छिपे अफीम की खेती होने का मामला पहले भी सामने आया था. बिहार पुलिस और केंद्रीय बलों के द्वारा गया और औरंगाबाद के जंगली, पहाड़ी व दुर्गम इलाकों में जारी विशेष अभियान में करीब 46 एकड़ में अफीम की फसल को साल 2023 के फरवरी के महीने में नष्ट किया गया था. इसमें शामिल राजेंद्र भोक्ता नाम के शख्स को गिरफ्तार भी किया गया था. संयुक्त ऑपरेशन में बड़ी संख्या में नक्सलियों के द्वारा छिपाए गए डंप हथियार और गोला-बारूद भी पकड़ लिए गए थे.
अर्थव्यवस्था को ट्रैक पर रखने के लिए खेती
उस दौरान पुलिय मुख्यालय एडीजी ने मामले में जानकारी भी दी थी कि औरंगाबाद के ढिबरा थाने से 14 किमी दक्षिण-पश्चिम जंगलों में छुछिया, ढाभी तथा महुआन में लगभग पांच एकड़ जमीन में अवैध अफीम की खेती की जा रही थी. इसे नष्ट किया गया था. बता दें कि अफीम की खेती से नक्सली मोटी कमाई करते है. इस फल की खेती को करना अवैध भी है. इस मादक फसल के खिलाफ अभियान चलाया जाता है. दलती परिस्थितियों में नक्सलियों ने अपनी अर्थव्यवस्था को ट्रैक पर रखने के लिए इस फसल की खेती करने का तरीका अपनाया है. इसी क्रम में इसकी खेती को रोकने के लिए नक्सली एसटीएफ ने अभियान चलाया है.