Bihar News: समानांतर ऑनलाइन एग्जाम सेंटर चलानेवाले शातिर गिरफ्तार, व्यापम से भी इस गिरोह का रिश्ता

एसएसपी मानवजीत सिंह ने बताया कि ये गिरोह ऑनलाइन परीक्षा सेंटर पर सेटिंग कर फर्जी तरीके से सरकारी व निजी नौकरी लगाने का धंधा करते थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 9, 2022 9:26 PM

पटना. पटना पुलिस ने ऑनलाइन एग्जाम सेंटर के सॉल्वर गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इसके चार सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार किया है जो ऑनलाइन एग्जाम सेंटर के समांतर एक खुद का केंद्र चलाते थे. इस बात की जानकारी बुधवार को एसएसपी मानवजीत सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा दी है. उन्होंने बताया कि ये गिरोह ऑनलाइन परीक्षा सेंटर पर सेटिंग कर फर्जी तरीके से सरकारी व निजी नौकरी लगाने का धंधा करते थे.

दरअसल कुछ दिन पहले पुलिस को सूचना मिली कि रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर दानापुर में गिरोह सक्रिय है. सूचना मिलते ही एसएसपी के निर्देश पर एएसपी दानापुर के नेतृत्व में दानापुर थानाध्यक्ष, रूपसपुर थानाध्यक्ष, कंकड़बाग थानाध्यक्ष, रामकृष्णानगर थानाध्यक्ष व अन्य पुलिसकर्मियों की एक टीम बनायी गयी. इसके बाद पुलिस ने दानापुर के आरकेपुरम सांई कॉलोनी स्थित एक नवनिर्मित किराये के मकान में छापेमारी की गयी.

इस दौरान कमरे में चार संदिग्ध लोगों को पुलिस ने हिरासत लेकर जांच शुरू कर दी. मौके से 70 छात्रों के ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट मिले, जिसके बाद गहन पूछताछ की गयी तो पता चला कि ये सभी ऑनलाइन ठगी गिरोह के सदस्य है. इसके बाद पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार आरोपितों में गिरोह का मास्टरमाइंड नालंदा के मंडाछ थाना क्षेत्र का निवासी अश्विनी सौरभ, जो वर्तमान में पत्रकार नगर थाना क्षेत्र के बुद्धा डेंटल स्थित गांधीनगर में रहते थे.

दूसरा मनेर थाना क्षेत्र के रतन टोला निवासी तनेश कुमार, तीसरा खेमनीचक के रोड नंबर 1 रहने वाला रूपेश कुमार है जो मूल रूप से मुंगेर के बरियारपुर के रहने वाला है. वहीं चौथा आरोपित शिवशंकर बिक्रम के पैनापुर का रहने वाला है.

खुद का मुजफ्फपुर में ऑनलाइन सेंटर

एसएसपी ने बताया कि अश्विनी सौरभ ने 70 लाख के इन्वेस्टमेंट से मुजफ्फरपुर के रामदयालु चौक पर खुद का ऑनलाइन सेंटर खोल रखा था. यही नहीं गया में एक और पटना में तीन ऑनलाइन सेंटर में इस गिरोह का 20-20 लाख रुपये लगा था.

मिली जानकारी के अनुसार अश्विनी सौरभ के मुजफ्फरपुर वाले सेंटर में एक साथ 270 कैंडिडेट परीक्षा देते थे. अपने सेंटर को अप्रूव कराने के लिए जिले के गिरोह जिले से सिटी हेड को ही पैसा देकर मैनेज कर लेते थे, जो सेंटर के गड़बड़ियों को जानते हुए भी सर्टिफाइड और वैरिफाइड कर देते थे.

व्यापम घोटाले में भी इस गिरोह का एक सदस्य जा चुका है जेल

इस गिरोह का सदस्य विजेंद्र गुप्ता बहुचर्चित व्यापम घोटाला में भी जेल जा चुका है. साथ ही इस गिरोह ने कोलकाता के कौशिक प्रिंटिंग प्रेस जो कि प्रश्न पत्रों की छपाई करता था उसे भी मैनेज कर रखा था. उत्तरप्रदेश के वाराणसी केंद्र में आयोजित शिक्षक चयन परीक्षा से प्रश्नपत्र लीक मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी भी जेल जा चुके है, में भी यह गिरोह शामिल था.

Next Article

Exit mobile version