Bihar News: सवालों के घेरे में स्कूलों की खरीदने प्रक्रिया, धरी रह जायेंगी खेल सामग्री खरीद की राशि

जिले के प्राथमिक विद्यालयों में पांच हजार, मध्य विद्यालय में दस हजार और उच्च विद्यालय में 25 हजार की खेल सामाग्री का क्रय उपलब्ध कराया जाना है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2022 9:18 PM

पटना. वित्तीय वर्ष 2021-22 अब खत्म होने में कुछ ही दिन शेष है, लेकिन जिले के स्कूलों में सरकारी योजनाओं की राशि अब तक सही से खर्च नहीं हो पायी है. इसका ताजा उदाहरण स्कूलों के लिए होने वाले खेल सामग्रियों की खरीदारी का मामला है. जिले में कुल 3498 प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालय हैं जिनके लिए खेल सामग्री खरीदने का काम अब तक धीमी गति से चल रहा है.

जिले के प्राथमिक विद्यालयों में पांच हजार, मध्य विद्यालय में दस हजार और उच्च विद्यालय में 25 हजार की खेल सामग्री का क्रय उपलब्ध कराया जाना है. ऐसे में अब तक यह स्पष्ट निर्णय नहीं हो पा रहा है कि सभी स्कूलों के लिए जिला स्तर पर खरीदारी होकर स्कूलों को आपूर्ति की जायेगी या स्कूलों को इसके लिए उनके खाते में रुपये ही दे दिये जायेंगे. ऐसे में अगर तुरंत निर्णय नहीं लिया गया और खरीदारी नहीं हुई तो योजना के रुपये लैप्स कर सकते हैं.

पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में खेल सामग्री खरीदने के लिए स्कूलों को ही रुपये भेज दिये गये थे. इस बार भी ऐसा ही होने की उम्मीद थी, लेकिन सीएफएमएस सिस्टम लागू होने के बाद स्कूलों के पुराने बैंक खातों को बंद कर नये सिरे से एसबीआइ में जीरो बैलेंस पर खाते खोले जाने हैं.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिले के करीब आधे स्कूलों का यह नया खाता खुला ही नहीं है. ऐसे में योजना का कार्यान्वयन मुश्किल दिख रहा है. बिना खाता खुले स्कूलों को रुपये भेजे नहीं जा सकते हैं. ऐसे में जिला स्तरीय चयन समिति की बैठक कर जेम पोर्टल पर निविदा के माध्यम से खरीदारी होने का ही विकल्प बचता है. अगर खरीदारी का यही काम कुछ माह पहले हो जाता तो यह आपाधापी नहीं रहती.

इन खेले के लिए होनी है खरीदारी

प्राप्त सूचना के मुताबिक करीब दो दर्जन खेलों का समान जिले के स्कूलों के लिए खरीदना है. इन खेल समानों में इनडोर गेम्स और आउटडोर गेम्स के समान शामिल हैं. इनडोर गेम्स की सामाग्रियों में कैरमबोर्ड, शतरंज, लूडो आदि हैं तो आउटडोर गेम्स की सामाग्रियों में क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल आदि की सामाग्री हैं.

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