बिहार: किडनी देकर जान बचाने में महिलाएं आगे, जानें कैसे किया जाता है अंगदान
Bihar News: राजधानी पटना में स्थित आईजीआइएमएस में 14 मार्च, 2016 से अब तक हुए किडनी दान के आंकड़े सामने आए है. इसमें महिलाओं ने शरीर का सबसे अहम अंग किडनी को दान किया है. आठ साल में आइजीआइएमएस के नेफ्रोलॉजी विभाग में कुल 100 किडनी ट्रांसप्लांट हुए है. किडनी दान करने वालों में 78 महिलाएं शामिल हैं.
Bihar News: राजधानी पटना में स्थित आईजीआइएमएस में 14 मार्च, 2016 से अब तक हुए किडनी दान के आंकड़े सामने आए है. इसमें मां, बहन, पत्नी व बेटी ने अपनी जिंदगी की फिक्र किये बिना शरीर का सबसे अहम अंग किडनी को दान किया है. 2016 से अब तक यानि आठ साल में आइजीआइएमएस के नेफ्रोलॉजी विभाग में कुल 100 किडनी ट्रांसप्लांट हुए. किडनी दान करने वालों में 78 महिलाएं हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा संख्या मां की है. इनमें 44 मां ने अपने बेटों को अपनी किडनी देकर उनकी जान बचायी है. इसके बाद पत्नी का स्थान है. 30 पत्नियों ने अपने पति को किडनी दान दी है. इसके अलावा चार बहनों ने किडनी दान देकर अपने भाई की मदद की है. 100 में सिर्फ 22 पुरुषों ने किडनी दान दी है.
दान करने के लिए अनुमति जरूरी
आइजीआइएमएस नेफ्रोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रो. डॉ अमरेश कृष्ण ने बताया कि आइजीआइएमएस में किडनी दान करने में महिलाओं की संख्या काफी अधिक है. पुरुषों से भी अपील है कि वह आगे बढ़ कर किडनी दान करें. डॉ अमरेश ने बताया कि नजदीकी रिश्तेदार को किडनी देने के लिए हॉस्पिटल ट्रांसप्लांट कमेटी से अनुमति लेनी होती है. इसके अलावा अन्य रिश्तेदारों के संबंध में संचालक चिकित्सा शिक्षा (एप्रोप्रिएट अथारिटी) से अनुमति लेनी होती है. नये नियमों के तहत अब दादा-दादी व कुछ अन्य रिश्तों को भी नजदीकी रिश्तों में मान लिया गया है. पीड़ित से भावनात्मक संबंध रखने वाले लोग भी उसे अंगदान कर सकते हैं. अंगदान करने वाले व्यक्ति के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी कार्यपालक दंडाधिकारी के सामने होती है.
पुरुषों से डॉक्टर ने की दान की अपील
पुरुषों के पिछड़ने का कारण ये हैं कि घर की बड़ी जिम्मेदारियां पुरुषों पर होती हैं. ऐसे में महिलाओं को लगता है कि पुरुषों के रहने पर वह ज्यादा सुरक्षित हैं. वह यह भी मानती हैं कि पूरे परिवार में सबकी देखभाल करना उनकी जिम्मेदारी है. सबसे अहम यह कि महिलाएं ज्यादा भावुक होती हैं. मैनस्टेट आर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (बिहार स्टेट) के चेयरमैन डॉ मनीष मंडल का कहना है कि अधिकतर लाइव किडनी डोनेशन में देखा जा रहा है कि महिलाएं ही डोनर हैं. ऐसा नहीं है कि पुरुष डोनर को खतरा अधिक होता है या फिर महिलाओं को कम. इसके बावजूद ट्रेंड यही दिख रहा है कि किडनी दान कर अपनों की जान बचाने के लिए अधिकतर महिलाएं ही आगे आ रही हैं. जबकि, खतरा दोनों को एक ही समान रहता है. इसके लिए पुरुषों को आगे आना चाहिए. डोनेशन के लिए अधिक लोग आयेंगे, तो उनके अपनों की जिंदगी बच जायेगी.
रिपोर्ट: आनंद तिवारी, पटना