Loading election data...

किशनगंज में मेची नदी पर बन रहा पुल क्यों धंसा? NHAI की टीम लगा रही पता, जल्द होगा खुलासा

जांच अधिकारियों के घटनास्थल पर पहुंचने के पहले कर्मी धंसे हुए पाए के पश्चिमी हिस्से को जैक के जरिये स्लैब को उठाकर बीच की जगह में रिंग डालकर पुल के धंसे हुए हिस्से को उठाने का प्रयास करते दिखे. पश्चिमी हिस्से को दो फीट उठा भी दिया गया था.

By Prabhat Khabar News Desk | June 27, 2023 3:00 AM

किशनगंज एनएच-327 ई पर मेंची नदी के पुल का एक पाया धंसने के सटीक कारण का पता लगाने की सोमवार से जांच शुरू कर दी गयी है. जांच अधिकारियों के घटनास्थल पर पहुंचने के पहले कर्मी धंसे हुए पाए के पश्चिमी हिस्से को जैक के जरिये स्लैब को उठाकर बीच की जगह में रिंग डालकर पुल के धंसे हुए हिस्से को उठाने का प्रयास करते दिखे. पश्चिमी हिस्से को दो फीट उठा भी दिया गया था. इसी दौरान जांच दल के आने के बाद यह कार्य रोक दिया गया.

सभी स्लैब की ऊपर से की जांच

जांच दल के अधिकारियों ने इस स्थल पर पहुंच कर कई पहलुओं की जांच की. जांच का दायरा को बढ़ाते हुए एक अधिकारी तो पुल के नीचे उस स्थल पर पहुंच गए, जहां मजदूर जैक डाल कर पाया उपर उठाने का प्रयास कर रहे थे. अन्दर जाकर पुल के वर्तमान हालात का जायजा लेने के बाद दोनों अधिकारियों ने पुल के सभी स्लैब की ऊपर से जांच की. इस दौरान सभी स्लेब के उपरी स्थल समतल हैं कि नहीं, इसे भी तकनीकी आधार पर जांचा गया.

Also Read: मुजफ्फरपुर में डायरिया व बुखार के मरीजों से पटा अस्पताल, इलाज के लिए रोज आ रहे 2500 मरीज
नदी के बहाव को भी जांचते दिखे अधिकारी

पुल के ऊपर चढ़ कर जांच करते दिखे अधिकारी नदी के बहाव को भी देखते दिखे. इस दौरान स्थानीय नागरिकों ने उन्हें बताया कि इस मेची नदी की दो धारा है. एक धारा बालू के उठाव के लिए जीआरइन्फ्रा के द्वारा ही बंद की गई है. तातपौआ पंचायत भवन के पीछे ही बंद की गई नदी की एक धारा के कारण नदी के पानी का दबाब दूसरी धारा से पुल की तरफ आया और मेची के जलग्रहण क्षेत्रों में हुई मुसलाधार वर्षा के कारण नदी में अचानक पानी का दबाब बढ़ गया. इस दौरान अधिकारियों ने अपने मोबाइल से नदी के बहाव की तस्वीरे भी ली.

पुल के डिजाइन पर फिर हुई चर्चा

पुल के डिजाइन को लेकर जो आशंका प्रभात खबर ने सबसे पहले जाहिर की वह आज निर्माण एजेंसी के अधिकारियों और कर्मियों के बीच भी चर्चा का विषय था. आपसी बातचीत में कर्मी यह कहते दिखे कि जब यह नदी नेपाल से आती है और नदी के पानी का दबाव हमेशा रहता है. ऐसे में पुल वेल फाउंडेशन क्यों डिजाइन किया गया.

Also Read: सहरसा: कटाव से बचाव के लिए ग्रामीणों का प्रयास, चंदा इकट्ठा कर बनाया 20 फीट ऊंचा व आधा किमी लंबा सुरक्षा बांध
मिट्टी परीक्षण के तरीके पर भी उठे सवाल

सोमवार को जांच के दौरान जांच दल के अधिकारियों ने शुरुआत से ही मिटटी जांच के मामले में जोर दिया. निर्माण एजेंसी से जुड़े लोगों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि एनएचएआई का ऐसा कोई नियम नहीं है कि जहां-जहां पिलर बनने हैं, उन हर जगहों पर मिटटी की जांच हो. मिट्टी की जांच एक सामान्य प्रक्रिया है और यही माना जाता है कि एक नदी में बहने वाली मिट्टी की प्रकृति एक ही होगी. छह पाया के इस पुल के निर्माण के लिए जो मिट्टी जांच की गई वह पुल के शुरुआत और अंतिम स्थल की थी.

Next Article

Exit mobile version