Bihar Nikay Chunav: बिहार नगर निकाय चुनाव को हाईकोर्ट के आदेश के बाद निर्वाचन आयोग ने फिलहाल स्थगित कर दिया है. आरक्षण को लेकर अब सियासी रार भी छिड़ गयी है. पटना हाईकोर्ट ने सीटों को आरक्षित करने के फैसले को अवैध करार दिया है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इसे उल्लंघन माना है. वहीं अब बिहार सरकार ने भी तय कर लिया है कि हाईकोर्ट के फैसले को वो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. जिसके बाद अब चुनाव लंबे समय तक टले रह सकते हैं. इस स्थिति में फिर से प्रशासकों के ही हाथों में निगम की कमान रहेगी.
पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया कि निकाय चुनाव में लागू किये आरक्षण का तरीका गलत है और इसके अनुसार चुनाव नहीं कराए जा सकते. ये आदेश तब सामने आया जब मतदान की तिथि सामने आ चुकी थी. निर्वाचन आयोग ने चुनाव को फिलहाल स्थगित कर दिया. वहीं अब दो ही ऑप्शन सामने बचते हैं कि या तो सरकार अति पिछड़ा आरक्षित सीटों को सामान्य मानकर चुनाव कराए या फिर सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट निर्देश का पालन करे.
सरकार की ओर से साफ संदेश दे दिया गया है कि वो सीटों को सामान्य मानकर चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है. वहीं अगर ट्रिपल टेस्ट कराया गया तो इसमें कुछ महीने जरुर लग जाएंगे. इसकी प्रक्रिया कुछ ऐसी है जो वक्त जरुर लेगी. इस दौरान जब निगम में जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म हो गया तो सरकार की ओर से प्रशासक नियुक्त किये गये थे. चुनाव टलने के बाद अब राज्य के 247 नगर निकायों में फिलहाल प्रशासक ही जिम्मेदारी संभालते रहेंगे. इनका कार्यकाल अब लंबा खींच सकता है.
Also Read: बिहार उपचुनाव: चिराग पासवान भी मोकामा व गोपालगंज में उतारेंगे उम्मीदवार, दोनों सीटों पर लड़ेगी लोजपा!
नगर निकाय प्रशासन की शक्तियां प्रशासकों को सरकार के द्वारा दे दी गयी थी. चुनाव परिणाम आने के बाद इनका कार्यकाल खत्म हो जाता लेकिन अब जब चुनाव टले हैं तो ये लंबे समय तक अब तैनात रहेंगे. वैसे नियमों की बात करें तो अधिकारियों के मुताबिक कार्यकाल खत्म होने के बाद छह माह तक ही प्रशासक को तैनात रखा जा सकता है. फिलहाल जनवरी 2023 तक नियुक्त प्रशासक मान्य हैं. लेकिन अब चुनाव तबतक नहीं हुए तो इनका कार्यकाल बढ़ाया जाएगा.
Posted By: Thakur Shaktilochan