ललित किशोर मिश्र, भागलपुर: नगर सरकार की चुनावी बिसात पर सारे तीर-तुक्के सज गये थे. घर-घर घूमने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर अपने-अपने प्रत्याशियों के पक्ष में दावे-प्रतिदावे का रेला था. सिंबल बंटने के साथ इसमें और रवानी आ गयी थी. इसी बीच आरक्षण मामले को लेकर चुनाव पर रोक लग गयी. एक बार फिर सरकार द्वारा चुनाव की तिथि तय करने के बाद चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी एक बार फिर सक्रिय होकर अपने चुनाव चिह्न के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने लगे हैं. बैठकों का दौर चालू हो गया है. प्रत्याशी एक बार फिर से मतदाताओं से मिलने लगे है. सोशल साइट पर तरह-तरह की तुकबंदी से माहौल में परिवर्तन आ गया है.
चुनाव पर रोक के बाद सभी प्रत्याशी चाहे वह मेयर, डिप्टी मेयर व पार्षद का चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें एक संशय था कि कहीं फिर से नामांकन नहीं करना पड़े. नया चुनाव चिन्ह आवंटन न हो जाये. इस संशय के बादल पर विराम लग गया. न ही इन प्रत्याशियों को फिर से नामाकंन करना पड़ा न ही नया चुनाव चिन्ह ही आवंटन करना पड़ा. पहले तो सिंबल मिला था, उसी सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे.
इस बार के चुनाव में कई पुराने चेहरे भी मैदान में हैं, तो कई नये चेहरे भी भाग्य आजमा रहे हैं. मेयर पद के लिए निवर्तमान मेयर मैदान में हैं तो इसी पद के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ मैदान में हैं. डिप्टी मेयर पद के लिए कई नये चेहरे मैदान हैं. वहीं कई निवर्तमान पार्षद मैदान में हैं तो कई नये चेहरे भी इस बार भाग्य आजमा रहे हैं. अब 28 दिसंबर को होने वाले मतदान और मतगणना के बाद ही पता चल पायेगा कि किसके सर का सेहरा बंधेगा और किसे पराजय का सामना करना पड़ेगा. कई प्रत्याशी तो अपने लोगों को घर -घर पर्चा बंटवाने में लग गये हैं. बैठक का दौर शुरू हो गया है. राजनीति में विसात बिछाने वाले खिलाड़ी अपने पक्ष के प्रत्याशी के जीत का चक्रव्यूह रचने में लग गये हैं.