बिहार के नियोजित शिक्षक बड़ी आंदोलन की तैयारी में, नयी शिक्षक नियमावली के खिलाफ हो रहे एकजुट, जानें वजह..
बिहार के नियोजित शिक्षक अब आंदोलन की तैयारी में हैं. बिहार सरकार ने नई शिक्षक भर्ती नियमावली को मंजूरी दे दी. इस नियमावली के विरोध में शिक्षकों का बड़ा खेमा अब उतर आया है. शिक्षकों ने कुछ बिंदुओं पर इसका विरोध किया है और अब बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं..
Bihar Teacher Niymawali News: बिहार शिक्षक नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद अब विरोध के सुर भी शिक्षक संघों से बाहर निकलने लगे हैं. नियोजित शिक्षकों के बीच आक्रोश देखा जा रहा है. शिक्षक संघ के पदधारकों ने महागठबंधन के घटक दलों के वादाखिलाफी का इसे दस्तावेज बताया है. वहीं सोशल मीडिया पर शिक्षक संघ के सदस्य व पदधारक खुलकर आंदोलन का एलान कर रहे हैं.
बिहार शिक्षक भर्ती नियमावली पर नाराजगी
बिहार शिक्षक भर्ती नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद अब ये तय हो गया है कि प्रदेश में शिक्षकों की बहाली परीक्षा पास करके होगी. बीपीएससी इससे जुड़ी परीक्षा का आयोजन करेगा और पास करने वाले ही शिक्षक बन सकेंगे. वहीं शिक्षकों को अब राज्यकर्मी का दर्जा मिल जाएगा. लेकिन जो पहले से नियोजित शिक्षक हैं उनकी अपनी नाराजगी इस नियमावली से है. उनका कहना है कि परीक्षा लेकर शिक्षक बनाने की शर्त गलत है. उनकी मांग है कि राज्य के नियोजित शिक्षकों को बिना किसी परीक्षा से शर्त के राज्य कर्मी का दर्जा मिले.
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बीपीएससी लेगी परीक्षा
नयी शिक्षक नियमावली में अब पुराने नियोजित शिक्षकों को भी शिक्षकों के लिए बीपीएससी के द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया गया है. परीक्षा में सफल होने पर उन्हें नए कोटि के राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा. उन्हें तीन मौका दिया गया है. अगर वो तीन बार परीक्षा देने के बाद भी सफल नहीं हो सकेंगे तो बिना राज्यकर्मी का दर्जा पाए ही वो रिटायर करेंगे.
शिक्षक संघ कर रहा आंदोलन की तैयारी
सोशल मीडिया पर बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष आनंद कौशल ने आह्वान किया है कि सभी शिक्षक संघ एकजुट हों और आंदोलन के लिए तैयार रहे. 13 अप्रैल को पटना में सर्वसंघीय बैठक आहूत की गयी है. जिसमें आंदोलन का बिगुल बजेगा. इसी संघ की सचिव सुप्रिया सिंह ने साफ शब्दों में लिखा कि यह नियमावली शिक्षकों के साथ धोखा है और अपनी फजीहत के लिए सरकार तैयार रहे. ईंट से ईंट बजेगा. वहीं इस नियमावली पर अब सियासी संग्राम भी छिड़ा है.