राज देव पांडेय, पटना. शैक्षणिक सत्र 2022-23 के छह माह गुजर चुके हैं. इसके बाद भी 6421 उत्क्रमित प्लस टू (उत्क्रमित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक ) स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर रस्म अदायगी चल रही है.दरअसल इन स्कूलों में समुचित शिक्षक नहीं है. लैब और लायब्रेरी वाले स्कूल अपवाद ही हैं. हैरत की बात यह होगी इन अव्यवस्थाओं के बाद भी बच्चे कुछ माह बाद ही बोर्ड की वार्षिक परीक्षाएं भी देंगे.
सबसे खराब स्थिति उन 4000 उत्क्रमित उच्च माध्यमिक स्कूलों की है, जहां इंटर की पढ़ाई इस साल शुरू हो चुकी है. यहां अच्छे खासे नामांकन भी हुए हैं.यहां मात्र सांकेतिक रूप में ही शिक्षक हैं. ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग ने उत्क्रमित उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रयास नहीं किये. छठे चरण में इन स्कूलों के लिए 668 शिक्षकों का ही चयन हुआ है. इनमें भी अधिकतर कला संकाय के शक्षिक हैं.
कॉमर्स और साइंस संकाय में शिक्षकों की उपलब्धता की बात ही बेमानी है. इन उच्च माध्यमिक स्कूलों में तो अतिथि शिक्षक भी नहीं है. उच्च माध्यमिक में अतिथि शक्षिक नियुक्ति का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में है. हाइस्कूल के शिक्षक उच्च माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ाने की रस्म अदायगी के लिए पहुंचा दिये जाते हैं. दूसरी तरफ, उत्क्रमित माध्यमिक स्कूलों की पढ़ाई भी एक तरह से अतिथि शिक्षकों के हवाले है.
विभाग ने इन विद्यालयों में पढ़ाई के लिए कक्षा छह से आठ तक के स्नातक उत्तीर्ण शिक्षक लगा दिये हैं. इन शिक्षकों का प्रबंध भी चंद स्कूलों में ही हो सका है. यहां सरकारी शिक्षक के नाम पर केवल अतिथि शिक्षक हैं. अतिथि शिक्षकों की संख्या भी कुल स्कूलों की संख्या की आधी यानी करीब 3000 के आसपास है. शैक्षणिक सत्र 2019-20 में प्लस टू स्कूलों में उत्क्रमित हुए थे. अब वह बच्चे इस शैक्षणिक सत्र में उच्च माध्यमिक कक्षाओं 11 वीं और 12 वीं में आ चुके हैं. इनकी वार्षिक परीक्षा भी नजदीक हैं.