बिहार में अब 50 हजार तक जुर्माना देकर छूट सकेंगे शराबी, मद्यनिषेध कानून में होने जा रहा यह अहम संशोधन

शराब पीने के दोषी व्यक्ति पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना करने का अधिकार होगा. इतना अधिक जुर्माना लेकर संबंधित आरोपित को छोड़ा भी जा सकता है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 24, 2022 10:44 AM

पटना. राज्य में लागू पूर्ण शराबबंदी कानून, 2016 में एक अहम संशोधन होने जा रहा है. इसके तहत अब शराब पीने वालों पर कार्रवाई के लिए अलग से प्रावधान किया जा रहा है. शराब पीने वालों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करने का अधिकार या ऐसे मामलों की सुनवाई का अधिकार कार्यपालक दंडाधिकारी को सौंप दी जायेगी. वे ऐसे मामलों की सुनवाई कर सकेंगे और शराब पीने के दोषी व्यक्ति पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना करने का अधिकार होगा. इतना अधिक जुर्माना लेकर संबंधित आरोपित को छोड़ा भी जा सकता है. हालांकि, यह प्रावधान शराब की तस्करी, बिक्री-भंडारण, ट्रांसपोर्टेशन और शराब से जुड़े किसी तरह का धंधा करने वालों पर लागू नहीं होगा.

यह छूट केवल शराब पी कर पकड़े गये लोगों के लिए

इतना ही नहीं, अगर कोई शराब की बोलतों के साथ भी पकड़ा जायेगा, तो उस पर भी इस नये संशोधन में किये गये प्रावधान का कोई लाभ नहीं मिलेगा. यह सिर्फ उन लोगों पर लागू होगा, जो शराब पीये हुए पकड़े जायेंगे या दूसरे राज्यों या स्थानों से पीकर यहां आते हैं और यहां ब्रेथ एनालाइजर की जांच में पकड़े जाते हैं. पुलिस के स्तर से भी जांच में अगर कोई व्यक्ति रास्ते में पिया हुआ पकड़ा गया, तो उससे समुचित पूछताछ के बाद इस नये प्रावधान के तहत कार्रवाई करके छोड़ा जा सकता है.

विधि विभाग कर रहा है प्रस्ताव पर विचार

फिलहाल इस कानून में होने वाले बदलाव से जुड़े सभी पहलुओं पर विधि विभाग के स्तर से विशेषतौर पर मंथन किया जा रहा है. हर तरह से मंथन के बाद कानून के नये प्रारूप को कैबिनेट से पास कराया जायेगा. इसके बाद इसे लागू करने से पहले विधानमंडल से पारित कराया जायेगा. तब जाकर मद्य निषेध अधिनियम-2016 में अंतिम रूप से संशोधन होगा, जिसके बाद ही यह नया प्रवाधान लागू हो पायेगा.

बजट सत्र में आ सकता है संशोधन

फरवरी से शुरू होने वाले विधानमंडल के बजट सत्र में इस संशोधन के पारित होने की संभावना जतायी जा रही है. इससे पहले सरकार के स्तर पर इससे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. महाधिवक्ता से भी इस पर अंतिम रूप से सुझाव प्राप्त किया जा रहा है.

दो लाख 10 हजार मामले हैं लंबित

पूर्ण शराबबंदी कानून में इस बदलाव को करने के पीछे मुख्य वजह कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या को कम करना है. वर्तमान में कोर्ट में शराब से जुड़े लंबित मामलों की संख्या दो लाख 10 हजार के आसपास है. इनमें शराब पीते पकड़ाये लोगों की संख्या भी काफी है.

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