बिहार अब होगा तेज विकास, केंद्र सरकार ने बढ़ा दी कर्ज लेने की सीमा
बिहार के विकास को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी पहल की है. बिहार सरकार अब विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए और अधिक कर्ज ले सकती है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में फैसला लेते हुए बिहार सरकार को कर्ज लेने की सीमा में छूट के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है.
पटना. बिहार के विकास को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी पहल की है. बिहार सरकार अब विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए और अधिक कर्ज ले सकती है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में फैसला लेते हुए बिहार सरकार को कर्ज लेने की सीमा में छूट के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है. यह छूट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए दी गयी है.
केंद्र सरकार ने 15वें वित्त आयोग के मानकों के तहत कर्ज सीमा बढ़ाने को हरी झंडी दी है. केद्र सरकार ने बिहार के कर्ज लेने की क्षमता 1699 करोड़ बढ़ा दी है.
केंद्र द्वारा कर्ज सीमा 1699 करोड़ बढ़ने से बिहार सरकार को संरचनागत व्यय के लिए धन की कमी आड़े नहीं आएगी. पूंजीगत व्यय के मोर्च पर अच्छा खर्च करने का मतलब है कि सरकार ने स्थायी संरचनागत ढांचे के विकास को लेकर अच्छी राशि खर्च की है.
मालूम हो कि 2021-22 की पहली तिमाही में पूंजीगत व्यय के लक्ष्य का 15 फीसदी खर्च होने के कारण केंद्र ने यह वृद्धि की है. पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून के दौरान ही कोरोना की दूसरी लहर कहर ढा रही थी. ऐसी परिस्थिति में भी बिहार में स्थायी संरचनागत विकास पर सालाना लक्ष्य का 15 फीसदी खर्च होना काबिले तारीफ है.
बिहार सरकार ने पूंजीगत व्यय में इजाफा किया है. जिसका नतीजा सबके सामने है. पहली तिमाही में बिहार ने पूंजीगत खर्च 4606 करोड़ खर्च किया है, जबकि 2021-22 के बजट के लिए बिहार के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 31198 करोड़ 38 लाख है, लेकिन केंद्र सरकार ने बिहार के राज्य सकल सीमा घरेलू उत्पाद की 0.25 फीसदी राशि भी पूंजीगत व्यय के लिए बढ़ाई है.
दरअसल पूंजीगत व्यय एक ऐसा व्यय है जिसका लाभ एक ही वित्तीय वर्ष में हासिल न होकर भविष्य में कई वर्षों तक मिलता रहता है. इसके अंतर्गत उन सभी व्ययों को शामिल किया जाता है, जो किसी स्थायी संपत्ति को प्राप्त करने या सरकार के मामले में इन्फ्रास्ट्रक्चर या संरचनागत विकास पर किए जाते हैं.
Posted by Ashish Jha