Bihar News: राष्ट्रीय भू अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (एनएलआरएमपी) में बिहार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है लेकिन केंद्र सरकार उसको महत्व उतना नहीं दे रही है. सर्वे आदि के लिए राज्यों की रैंकिग के लिए जो मानक बनाये गये हैं उसमें बिहार को अंक इस तरह मिल रहे हैं मानो सोना को पीतल का भाव मिला हो. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से इस संबंध में आपत्ति प्रकट की गयी है.
अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि वह बिहार को उसके चरणबद्ध काम के लिए वेटेज (अंक) दे. केंद्रीय पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को शास्त्रीनगर स्थित सर्वे भवन में विभागीय कार्यों की समीक्षा की थी. इसमें बिहार को म्यूटेशन, डिजिटलीकरण और सर्वे आदि में तेजी लाने के निर्देश दिये थे, जबकि वित्तीय वर्ष 20- 21 के अंत में केंद्र सरकार द्वारा राज्य स्तर से किये जाने वाले कार्यों की एमआइएस रिपोर्ट में बिहार की स्थिति कुल 11 अव्यवों में से आठ में 100 फीसदी थी.
केंद्र सरकार सर्वे के अंतिम परिणाम को ही महत्व दे रही है. बिहार के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने केंद्रीय सचिव हुकम सिंह मीणा को इस प्रणाली में बदलाव का सुझाव दिया. विवेक कुमार सिंह का कहना था कि सर्वे कई चरणों की एक लंबी प्रक्रिया है. बिहार में पहले चरण में पांच हजार और दूसरे चरण में छह हजार मौजा में सर्चे का काम हो रहा है. राज्य बाउंडी वेरीफिकेशन, ग्राम सीमा सत्यापन, त्रिसीमाना, आदि कई चरण पूरे कर चुका है. अप्रैल 22 में अंतिम परिणाम आना लगेगा. भारत सरकार को इन कामों का वेटेज देना चाहिए.
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सर्वेक्षण/ पुनः सर्वेक्षण 0.1 %
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वेब पर अधिकारों का रिकॉर्ड 100 %
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राज्य डेटा केंद्र सेटअप 100 %
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नागरिक केंद्रित सेवाएं 100 %
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कैडस्ट्रल मैप का डिजिटलीकरण 100 %
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सब रजिस्ट्रार कार्यालयों का कंप्यूटरीकरण 100 %
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भूमि अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण 76.91 %
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मार्डन रिकार्ड रूम 50 %
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भूमि रिकॉर्ड और संपत्ति रजिस्टर का एकीकरण 100 %
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भू-नक्शा कस्टमाइजेशन 100 %
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टेक्टुअल एंड स्पाटियल डेटा एकीकरण 100 %
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(स्रोत्र : वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन, भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय )
Posted by: Radheshyam Kushwaha