बिहार में अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की हालत दयनीय, पटना हाइकोर्ट ने कही ये बात

बिहार में पश्चिम चंपारण के हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय को दूर करने के लिये दायर की गयी लोकहित याचिका पर हाइकोर्ट में मंगलवार को आंशिक सुनवाई हुई. यह याचिका मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2023 11:01 PM

बिहार में पश्चिम चंपारण के हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय को दूर करने के लिये दायर की गयी लोकहित याचिका पर हाइकोर्ट में मंगलवार को आंशिक सुनवाई हुई. यह याचिका मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी. पहले की सुनवाई में हाइकोर्ट ने स्कूल की दयनीय अवस्था पर नाराजगी जाहिर करते हुए अधिवक्ताओं का एक कमीशन नियुक्त किया था. इस कमीशन की हेड अधिवक्ता अर्चना शाही को बनाया गया था . कोर्ट ने विशेषकर युवा अधिवक्ताओं को इस कमीशन में सदस्य बनाया था.

पटना हाईकोर्ट ने कहा था कि यह कमीशन एससी एसटी कल्याण विभाग के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इस समस्या का निदान निकालेगा . कोर्ट ने कमीशन को यह पता लगाने को कहा था कि आखिर किस वजह से एससी एसटी छात्राएं पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर जा रही हैं . क्या उनके लिए स्कूल में पढ़ने के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं है. महिला छात्राओं के लिए शौचालय , क्लासरूम , इत्यादि बनाया गया है या नहीं . कमीशन को यह भी निर्धारित करना था की आर्थिक और सामाजिक कारणों के चलते ही छात्राओं ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ तो नहीं दिया है . इस कमीशन को अपनी रिपोर्ट में सुझाव देना था कि आखिर कैसे इन छात्राओं को वापस स्कूल जा सकता है ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सके.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जाति जनजाति बालिकाओं के लिए पश्चिम चंपारण में एकमात्र यही स्कूल है . यहां पर कक्षा एक से लेकर दस तक पढ़ाई होती थी . उन्होंने कोर्ट को बताया कि जब से इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया स्कूल की स्थिति और भी बदतर हो गयी है. इस विद्यालय में कक्षा सात व आठ के छात्र-छात्राओं का एडमिशन बंद कर दिया गया है .सातवीं कक्षा के साथ ही कक्षा नौ और 10 में छात्राओं का एडमिशन 50 फ़ीसदी ही रह गया है. हाइकोर्ट ने इसी को लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया था . सुनवाई के समय संबंधित विभाग के अधिकारी कोर्ट में मौजूद थे तथा उन्होंने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी.

Next Article

Exit mobile version