बिहार में 40 हजार स्कूल, केवल साढ़े 8 हजार RTE के दायरे में, हजारों छात्रों के जीवन में अंधेरा, जानें पूरी बात

राइट टू एजुकेशन एक्ट को प्रभावी तौर पर लागू करने आ रही सुविधाओं को चिह्नित करने और उनके अनुसार आवश्यक बदलाव करने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (नीपा) ने सभी राज्यों से राय ली है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2023 7:55 AM

राइट टू एजुकेशन एक्ट को प्रभावी तौर पर लागू करने आ रही सुविधाओं को चिह्नित करने और उनके अनुसार आवश्यक बदलाव करने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (नीपा) ने सभी राज्यों से राय ली है. इसमें बिहार की तरफ से एक्ट को लागू करने में कुछ बड़ी बाधाएं गिनायी हैं. बिहार में प्राइवेट स्कूलों की संख्या 40 हजार से ऊपर है. इसमें केवल साढ़े आठ हजार स्कूलों में ही राइट टू एजुकेशन प्रभावी है. शेष स्कूलों ने इसमें रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं समझी है. सूत्रों के मुताबिक सारे राज्यों ने भी इसी तरह की तमाम दिक्कतें गिनायी हैं.

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आरटीइ के संदर्भ में नहीं हुई कार्रवाई

नीपा सूत्रों के मुताबिक राज्यों के पास ऐसा कोई कानून नहीं है, जो आरटीइ एक्ट को लागू न करने वाले स्कूलों पर शिकंजा कस सके. नीपा की तरफ से ऑनलाइन हुई इस कार्यशाला में बिहार सहित सभी राज्यों ने केंद्रीय अफसरों को बताया कि आरटीइ के संदर्भ में एक भी स्कूल के खिलाफ एक्शन नहीं हुआ है. शिक्षा विभाग की तरफ से इस राष्ट्रीय कार्यशाला में गिनायी दिक्कतों में बताया कि आरटीइ को प्रभावी करने में सबसे बड़ी बाधा कथित तौर पर बड़े स्कूल हैं, जिनकी आरटीइ में कोई खास रुचि नहीं है.

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सुझावों के आधार पर आरटीइ में हो सकता है संशोधन

आरटीइ में एडमिशन लेने वाले कमजोर वर्ग के बच्चे बड़े प्राइवेट स्कूलों में एक दूसरे के साथ सहज नहीं देखे गये हैं. संपन्न बच्चों के बीच में उन्हें तमाम तरह की मनोदशाओं का शिकार होना पड़ता है. आरटीइ के भुगतान से जुड़ी भी दिक्कतें बतायी गयीं. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक नीपा राज्यों के इन सुझावों के आधार पर आरटीइ के प्रक्रियागत प्रावधानों में कुछ संशोधन करेगा.

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