हाईकोर्ट से अवैध घोषित होने के बाद भी बिहार में हुई बंदूक की नोक पर शादी, पढ़िए पकड़ौआ विवाह की पूरी कहानी….
रविकांत सिंह अपने चाचा सत्येंद्र सिंह के साथ लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में पूजा करने गए थे. उसी दौरान बंदूक की नोक पर उनको पहले अगवा कर लिया गया और लखीसराय की बंदना कुमारी के साथ जबरन शादी करा दी गई.
बिहार के वैशाली में दो दिन पहले भी एक शिक्षक का जबरिया विवाह कर दिया गया. विवाह से इंकार करने पर लड़की पक्ष के लोगों ने लड़के को पहले पिटाई की और फिर बंदूक दिखाकर उसका जबरन विवाह करवा दी. लड़का इसका विरोध करता रहा, लेकिन लड़की पक्ष ने रातों रात अपनी बेटी की शादी बीपीएससी पास कर हाल ही में शिक्षक बने युवक से करवा दी. बिहार में इस प्रकार के विवाह (पकड़वा या पकड़ौआ विवाह) की कहानी करीब चालीस साल पुरानी है. अस्सी के दशक में इस प्रकार का विवाह सबसे ज्यादा हुआ करता था. तब ऐसी घटना उत्तर बिहार में सबसे ज्यादा हुआ करता था. लेकिन अब इसका दायरा बड़ा हो गया है. यही कारण है कि बिहार में इस प्रकार के करीब एक हजार से ज्यादा मामला प्रतिमाह दर्ज हो रहे हैं.
साल 1980 के दशक और उससे पहले इस प्रकार की बहुत सी शादी बिहार में हुआ करती थी. इसके लिए गांव में गिरोह तक होते थे. जो लड़कों का अपहरण करते थे और फिर उनका जबरन विवाह करवा दिया जाता था. शादी के सीज़न में तो नौकरीपेशा और योग्य लड़कों को घर से बाहर निकलने में ख़ास सावधानी बरतने की सलाह दी जाती थी. दूसरे प्रदेश के भी नौकरीपेशा वाले लड़के इस कारण शादी के सीजन में बिहार में आने से डरते थे. लेकिन बीच में कुछ स्थिति सुधरा हुआ तो लोगों में जबरिया विवाह का खौफ कम हुआ. लेकिन हाल के दिनों में इस प्रकार की बढ़ती घटना के बाद एक बार फिर से कुंवारे सहम गए हैं. बिहार पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक़ राज्य में हर साल जबरन शादी के क़रीब तीन से चार हज़ार मामले दर्ज़ होते हैं.
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इससे पहले के साल में भी देखें तो फोर्स्ड मैरिज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसमें प्रेम प्रसंग में घर से भागने वाले जोड़ों का आंकड़ा शामिल नहीं है. बिहार में इस प्रकार के विवाह को पकड़वा या पकड़ौआ विवाह कहा जाता है. ऐसा शादी जिसमें शादी के योग्य लड़के का अपहरण कर उसकी जबरन शादी करवाई जाती है.इसे ही बिहार में पकड़वा या पकड़ौआ विवाह कहा जाता है. आमतौर पर यह माना जाता रहा है कि जबरन शादी को भी धीरे-धीरे लड़के वाले मान लेते और इसे मान्यता दिलाने में समाज या बिरादरी का दबाव में अहम भूमिका निभाता है बिहार के इस तरह की शादी पर फ़िल्में और टीवी सीरियल तक बन चुके हैं.
बिहार में पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में इस प्रकार की दस साल पुरानी एक शादी को रद्द कर दिया है. इस मामले में लड़के ने आरोप लगाया था कि उसे अगवा कर उसका जबरन विवाह करया गया था.दरअसल, यह पूरा मामला बिहार के नवादा जिला से जुड़ा है.नवादा ज़िले के रेवरा गांव के चंद्रमौलेश्वर सिंह के बेटे रविकांत और लखीसराय ज़िले के चौकी गांव के बिपिन सिंह की बेटी बंदना कुमारी की शादी से जुड़ा है. रविकांत सिंह अपने चाचा सत्येंद्र सिंह के साथ लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में पूजा करने गए थे. उसी दौरान बंदूक की नोक पर उनको पहले अगवा कर लिया गया और लखीसराय की बंदना कुमारी के साथ जबरन शादी करा दी गई. यह घटना 30 जून 2013 की है. उस समय रविकांत की सेना में नई नौकरी लगी थी. सत्येंद्र सिंह का दावा है कि ” क़रीब आठ लोग थे जिनमें से कुछ के पास हथियार भी था.
वो लोग रविकांत को घसीटते हुए ले गए और उसकी जबरन शादी करवा दिए. चंद्रमौलेश्वर सिंह इस शादी के खिलाफ कहा कि ”किसी को अगवा कर जबरन सिंदूर डलवा देना कोई शादी नहीं है. पकड़ौआ शादी बिहार में होती थी, हो रही होगी और आगे क्या होगा हम नहीं जानते, लेकिन जिनसे हम कभी मिले नहीं, हम जानते नहीं, जिनसे हमारा मन नहीं मिलता उनके साथ रिश्ते को कैसे स्वीकार कर लें.” उनके इसी तर्क को कोर्ट ने भी माना और पटना हाई कोर्ट ने इस जबरन करायी गई शादी को रद्द कर दिया. लड़की वाले बहरहाल इस फैसले को मानने को तैयार नहीं हैं. वे इस फैसले के खिलाफ कानूनी राय के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे.