‍Bihar: खेत में काम करने वालों को वज्रपात से बचाएगा ताड़ का पेड़, जानें क्या है प्राकृतिक गुण

बिहार में वैसे तो सभी जिलों में ठनका से लोगों की मौत हर साल होती है, लेकिन पटना, भागलपुर, औरंगाबाद, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, कटिहार, अररिया, जमुई, छपरा, पश्चिम चंपारण, बेगूसराय, बांका, गया, मधेपुरा, जहानाबाद, भोजपुर, सुपौल, पूर्णिया, लखीसराय, नालंदा और नवादा सबसे अधिक प्रभावित रहता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 21, 2023 9:50 PM

बिहार में वैसे तो सभी जिलों में ठनका से लोगों की मौत हर साल होती है, लेकिन पटना, भागलपुर, औरंगाबाद, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, कटिहार, अररिया, जमुई, छपरा, पश्चिम चंपारण, बेगूसराय, बांका, गया, मधेपुरा, जहानाबाद, भोजपुर, सुपौल, पूर्णिया, लखीसराय, नालंदा और नवादा सबसे अधिक प्रभावित रहता है. जब इन सभी इलाकों का सर्वेक्षण बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कराया, तो देखा गया कि व्रजपात को अपनी ओर खींचने वाले ताड़ के पेड़ की संख्या बहुत कम हो गयी है. इस कारण से उन इलाकों में खेतों में काम करने वाले लोगों की मौत सबसे अधिक व्रजपात से हो रही है. इस सर्वे के बाद प्राधिकरण ने यह निर्णय लिया है कि ताड़ के पेड़ को लोग नहीं काटें और नये पेड़ भी लगाएं. इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाया जायेगा.

ऊंचे सरकारी व निजी भवनों पर लगेंगे तड़ित चालक यंत्र

राज्यभर में सभी ऊंचे निजी व सरकारी भवनों में तड़ित चालक यंत्र लगाया जाएं, ताकि ऊंचे अपार्टमेंट और घरों में रहने वाले लोग आराम से रह सकें. प्राधिकरण ने इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार कर आपदा प्रबंधन विभाग को भेज दी है. अब जल्द ही सभी जिलों को इस संदर्भ में निर्देश भेजा जायेगा,ताकि आगामी मॉनसून से पूर्व यंत्र लगाने के काम को पूरा कर लिया जाए.

ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक होती है वज्रपात से मौत

शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में वज्रपात से होने वाली मृत्यु अधिक है. शहरी क्षेत्रों में ज्यादातर लोगों के कार्यस्थल घरों के अंदर होते है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में होने के कारण वज्रपात के खतरों के संपर्क में रहते हैं. सबसे अधिक लगभग 86 प्रतिशत कृषि, पशुपालन गतिविधियों से जुड़े लोग प्रभावित होते हैं.

ठनका की चपेट में अधिक आते हैं पुरुष

महिलाओं की तुलना में पुरुषों की अधिक मौत व्रजपात से होती है. लगभग 75 प्रतिशत पुरुष और 25 प्रतिशत महिलाएं वज्रपात की चपेट में आते हैं, जबकि पांच प्रतिशत बच्चे इसकी चपेट में आते हैं.

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