माले सहित सभी विपक्षी दलों ने पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने की बजाये उन्हें भंग कर परामर्शी समिति के द्वारा पंचायती राज के काम को चलाने के सरकार के निर्णय के खिलाफ गुरूवार को माले राज्यव्यापी प्रतिवाद किया. राज्य कार्यालय सहित पटना के विभिन्न इलाकों और सभी जिलों में प्रतिवाद के जरिए माले कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस अलोकतांत्रिक कदम का विरोध किया.
माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि परामर्श दात्री समिति का झुनझुना हमें नहीं चाहिए. पंचायतों के तमाम अधिकारों को परामर्श दात्री समिति द्वारा इस्तेमाल करने का अध्यादेश, दरअसल कुछ और नहीं बल्कि आपदा में अवसर तलाशने वाली भाजपा-जदयू सरकार सीधे-सीधे नहीं बल्कि थोड़ा घुमाकर पंचायतों पर कब्जा करने की कोशिश मात्र है.
यह समिति सरकार द्वारा एक मनोनीत समिति होगी और लगाम भी सरकार के हाथ में ही होगी. परामर्श समिति के गठन की पूरी प्रक्रिया भी सरकार ही निर्धारित करेगी. तब भला ऐसी मनोनीत समितियों से क्या उम्मीदें की जा सकती है.
CPI का धरना- इधर, भाकपा नेता व कार्यकर्ताओं ने पंचायत राज व्यवस्था के प्रतिनिधियों के कार्यकाल को चुनाव तक विस्तार करने की मांग को लेकर राज्य के विभिन्न जिलों के प्रखंड कार्यालय व मुख्यालयों पर धरना दिया हैं धरना कार्यक्रम राज्य के विभिन्न जिलों के दो सौ प्रखंडों से अधिक जगहों पर हुआ. पार्टी के राज्य सचिव राम नरेश पांडेय ने धरना में भाग लेने वाले तमाम पार्टी सदस्यों, कार्यकर्त्ताओं, समर्थकों तथा आम लोगों को धरना की सफलता के लिये धन्यवाद दिया.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि त्रि-स्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव समय पर कराना राज्य सरकार एवं राज्य निर्वाचन आयोग की जवाबदेही है लेकिन बैलेट पेपर और ईवीएम की नुराकुष्ती में ग्राम पंचायत चुनाव को टाला जाता रहा जो बतलाता है कि राज्य सरकार पंचायती राज व्यवस्था के प्रति कितना संवेदनशील है.
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Posted By : Avinish Kumar Mishra