पटना. राज्य की पंचायतों में आरक्षण के प्रावधानों में 2026 तक कोई बदलाव नहीं होगा. राज्य में पंचायत चुनाव होनेवाले हैं. ऐसे में जिस पंचायत में जैसा आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया है, उसे यथावत रहने दिया गया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. बैठक में कुल 42 एजेंडों पर सहमति दी गयी. राज्य में नये नगर निकायों के गठन के बाद पंचायतों में आरक्षण प्रभावित होने की आशंका थी.
नये नगर निकायों के गठन के बाद करीब 300 पंचायतों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा, जबकि 200 पंचायतों का पुनर्गठन करने की आवश्यकता होगी. अप्रैल-मई में होने वाले पंचायत चुनाव में कैबिनेट के इस निर्णय से आरक्षण का प्रावधान पूरी तरह से अछूता रह जायेगा. जहां पर जिस वर्ग के लिए आरक्षित सीट है, उस सीट के आरक्षण में अब कोई बदलाव नहीं होगा.
कैबिनेट के इस फैसले से राज्य की करीब आठ हजार पंचायतों में मुखिया के पद, ग्राम कचहरियों में सरपंच के पद, करीब एक लाख 14 हजार वार्डों में वार्ड सदस्यों के पद, ग्राम कचहरियों के एक लाख 14 हजार पंचों के पद, पंचायत समिति के कुल 11497 पद और जिला पर्षद के 116 पदों के आरक्षण में कोई बदलाव नहीं होगा.
राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज के तहत कुल दो लाख 58 हजार पद होते हैं, जिन पर आरक्षण के अनुसार चुनाव होता है. इसके साथ ही कैबिनेट ने अप्रैल -मई में होनेवाले पंचायत चुनाव इवीएम से कराने के लिए राशि मंजूर कर दी है.
राज्य निर्वाचन आयोग को इवीएम की खरीद के लिए कुल 122 करोड़ की स्वीकृति दी गयी है. भोजपुर में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए 550 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं.
कैबिनेट ने सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने के लिए 75% उपस्थिति की अनिवार्यता खत्म कर दी है. अब सभी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जायेगी. इसके अलावा कैबिनेट ने अनुदानित हाइस्कूलों व इंटर कॉलेजों को रिजल्ट के आधार पर दी जानेवाली राशि की स्वीकृति दी है. ऐसे हाइस्कूलों व इंटर कॉलेजों के लिए 842 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं.
यह राशि शैक्षणिक सत्र 2015-17, 2016-18 व 2017-19 के लिए है. मालूम हो कि वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान राज्य के सभी सरकारी स्कूलों को बंद रखने का निर्णय सरकार ने लिया था.
Posted by Ashish Jha