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बिहार में 15 जून को खत्म होगा पंचायत का कार्यकाल, मुखिया के पावर को लेकर मंत्री सम्राट चौधरी ने कही ये बात

ग्रामीण इलाकों में कोरोना महामारी की रोकथाम में जुटे करीब ढाई लाख पंचायत प्रतिनिधि दायित्व मुक्त हो जायेंगे. उनके कार्यकाल की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. 15 जून को राज्य के इन ढाई लाख त्रिस्तरीय पंचायतीराज प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा.

पटना. ग्रामीण इलाकों में कोरोना महामारी की रोकथाम में जुटे करीब ढाई लाख पंचायत प्रतिनिधि दायित्व मुक्त हो जायेंगे. उनके कार्यकाल की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. 15 जून को राज्य के इन ढाई लाख त्रिस्तरीय पंचायतीराज प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा.

इधर, त्रिस्तरीय पंचायतीराज के चुनाव की संभावना समाप्त हो चुकी है. इधर, पंचायती राज विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला पर्षदों को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए कई प्रकार के दायित्व सौंपे गये हैं.

अभी लोगों की सेवा में जुटे हुए है पंचायत प्रतिनिधि

पंचायतीराज विभाग द्वारा राज्य की 8000 ग्राम पंचायतों को पंचायत के अंदर कोरोना को लेकर लाउडस्पीकर से प्रचार- प्रसार करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इसके अलावा ग्राम पंचायत को मंदिर-मठ-मस्जिद सहित सभी सार्वजनिक स्थलों को सैनिटाइज करने की जिम्मेदारी दी गयी है.

इसके साथ ही राज्य की करीब एक लाख से अधिक वार्डों में गठित वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों को मास्क का वितरण, साफ-सफाई के साथ बाहर से आनेवाले लोगों को चिह्नित करने और इसकी सूचना स्थानीय थाने और प्रखंड विकास पदाधिकारी को देने का निर्देश दिया गया है. साथ ही गांव में कोरोना संक्रमित की पहचान और कंटेक्ट ट्रेसिंग की जिम्मेदारी भी सात सदस्यीय वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों को सौंपा गया है.

वार्ड क्षेत्र में 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों , अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चे जैसे उच्च जोखिम वाले सदस्यों पर विशेष ध्यान देना है. वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के अध्यक्ष को जिम्मेदारी दी गयी है कि वह कोरोना पीड़ित रोगी के परिवार से फोन कर नियमित संपर्क करके होम आइसोलेशन की अवधि पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. साथ ही उनको पूरा सहयोग देंगे.

वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति को यह भी जिम्मेदारी सौंपी गयी है कि वह कोरोना महामारी से संबंधित किसी भी घटना की सूचना तत्काल स्थानीय नियंत्रण कक्ष को देंगे. इधर, जिला पर्षद और पंचायत समितियों को 15 वें वित्त आयोग की अनटाइड फंड से बेड व ऑक्सीजन सहित अन्य कार्य की जिम्मेदारी दी गयी है.

पंचायतीराज मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि पंचायत प्रतिनिधियों के दायित्वों को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं किया गया है. अभी सरकार विचार कर रही है कि पंचायतों के संचालन के लिए प्रशासक नियुक्त किया जाये या निदेशक मंडल के माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का संचालन किया जाये.

Posted by Ashish Jha

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