बिहार में बाल विवाह (child marriage) और दहेज प्रथा (dowry case in bihar ) दूर करने के लिए पंचायती राज विभाग ने अहम कदम उठाया है. बाल विवाह की सूचना मिलने पर उस पंचायत के मुखिया और वार्ड सदस्य की सदस्यता जा सकती है. विभाग ने पंचायत में बाल विवाह का मामला आने पर वार्ड सदस्य और मुखिया जिम्मेदार माना है. ऐसे में निर्वाचित सदस्य होने के बाद कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करने के आरोप में मुखिया को पद से हटाने की कार्रवाई की जाएगी.
पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव मिहिर कुमार सिंह ने सभी डीएम, जिला परिषद के सभी कार्यपालक पदाधिकारी व जिला पंचायती राज पदाधिकारी को निर्देश जारी किया गया है. बाल विवाह होने की संभावना की सूचना प्राप्त होते ही वार्ड सदस्य व मुखिया संबंधित परिवार के घर पहुंचकर अभिभावकों को समझायेंगे और ऐसा न करने की सलाह देंगे. नहीं मानने पर स्थानीय थाना और बाल विवाह निषेध अधिकारी बीडीओ व एसडीओ को तुरंत सूचना देंगे और विवाह रुकवाने में उनका सहयोग करेंगे.
बिहार पंचायत राज अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत के प्रधान को बाल विवाह की सूचना प्राप्त कर अग्रसारित करने वाले माध्यम के रूप में चिह्नित किया गया है. एसडीओ और बीडीओ को बाल विवाह निषेध पदाधिकारी के रूप में चिह्नित किया गया है-सम्राट चौधरी, पंचायती राज मंत्री
सामाजिक मुद्दों पर मुखिया और अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के स्तर पर की गयी कार्रवाई या पहल को उनके समग्र कार्य मूल्यांकन में शामिल किया जायेगा. राज्य व जिला स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर ऐसे प्रतिनिधियों को सम्मानित भी किया जायेगा. इसके अलावे दहेज लेन-देन से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी को सूचित करते हुए कार्रवाई से अवगत करायेंगे. बता दें कि बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली, 2006 में मुखिया को विवाह पंजीकरण का दायित्व दिया गया है. पंचायत क्षेत्र अंतर्गत हर वैध विवाह का पंजीकरण करना मुखिया और पंचायत सचिव के लिए अनिवार्य होगा. प्रत्येक ग्राम सभा और वार्ड सभा की बैठक में एजेंडे में बाल विवाह रोकने और दहेज उन्मूलन का विषय शामिल करना अनिवार्य होगा.