Bihar: गर्मी आते ही पटना में पानी की भयानक किल्लत शुरू, सरकार की 203 जलापूर्ति प्रोजेक्ट अधूरे,जानें पूरी बात
पटना में बीते नगर सरकार ने जलापूर्ति की 394 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. इनमें से अब तक केवल 191 परियोजनाएं पूरी हो सकी हैं. 203 परियोजनाएं या तो अभी अधूरी हैं या उन पर काम ही शुरू नहीं हो सका है. अब तक कुल 139 किमी जलापूर्ति पाइपलाइन बिछाने का काम बाकी रह गया है.
अनुपम कुमार, पटना
पटना में बीते नगर सरकार ने जलापूर्ति की 394 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. इनमें से अब तक केवल 191 परियोजनाएं पूरी हो सकी हैं. 203 परियोजनाएं या तो अभी अधूरी हैं या उन पर काम ही शुरू नहीं हो सका है. अब तक कुल 139 किमी जलापूर्ति पाइपलाइन बिछाने का काम बाकी रह गया है. स्थिति ऐसी है कि सीडीए कॉलोनी, पटेल नगर, आदर्श काॅलोनी और कौटिल्य नगर में तीन वर्ष पहले से जलापूर्ति परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ. दो-दो बोरिंग लगायी जा चुकी हैं, लेकिन अब तक घरों में पानी नहीं पहुंचाया जा सका है. फिलहाल जलापूर्ति की 62 परियोजनाएं प्रगति पर हैं और 15 का टेंडर पूरा हाेने के बाद एकरारनामा होना है, जबकि 60 में टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. 54 में तो टेंडर की प्रक्रिया तक शुरू नहीं हुई है.
तीन माह में करना था पूरा
इन सभी परियोजनाओं को दो से तीन महीने में पूरा किया जाना था, जबकि इनमें कई ऐसी परियोजनाएं हैं, जो दो वर्ष बीतने के बावजूद अब तक पूरी नहीं हुई हैं. अब तक मंजूर 394 जलापूर्ति परियोजनाओं में 350 किमी पाइपलाइन बिछायी जानी थी. इनमें 211 किमी पाइपलाइन ही बिछायी जा सकी है.
जर्जर हो चुके हैं 50-60 वर्ष पुराने पाइप
अधिकतर जगह नयी पाइपलाइन को उन क्षेत्रों में बिछाया जा रहा है, जहां अब तक जलापूर्ति की पाइपलाइन नहीं थी. इनमें अधिकतर परियोजनाएं नये बसे मोहल्लों में शुरू की जा रही हैं. हालांकि, इनमें से 10 से 15 फीसदी पाइपलाइन उन क्षेत्राें में भी बिछायी गयी है, जहां पहले से पाइपलाइन बिछी है, लेकिन बेहद पुरानी हो जाने के कारण जर्जर हो गयी है. इनमें से कई जगह गंदा पानी आ रहा है और पाइपलाइन जमीन के 10 फुट नीचे पहुंच जाने के कारण अब उनकी मरम्मत भी संभव नहीं है.
2.5 लाख से 80 लाख रुपये तक की हैं ये जलापूर्ति परियोजनाएं
इन जलापूर्ति परियोजनाओं में 2.50 लाख से 80 लाख तक की परियोजनाएं शामिल हैं. नगर आवास व विकास विभाग से वित्त पोषित इन परियोजनाओं के लिए प्रारंभिक अनुशंसा जरूरत के अनुसार वार्ड पार्षद करते हैं. नगर विकास जलापूर्तिप्रमंडल द्वारा इनका एस्टीमेट बनाया जाता है और नगर निगम की प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद इन पर काम शुरू होता है.