बिहार पुलिस ने सोशल मीडिया पर नकली व अवैध हथियार के साथ वीडियो या रील्स बना कर अपलोड करने वाले युवाओं से एक खास अपील की है. बिहार पुलिस ने कहा है कि ऐसे लोगों को नकली हथियार चलाने की जगह अगर निशानेबाजी बाजी करें तो उनकी ऊर्जा का सही इस्तेमाल होगा. इससे युवाओं की जिंदगी भी संवार जाएगी एवं देश और समाज का भला भी होगा. यह बातें शुक्रवार को बिहार पुलिस के एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने नियमित ब्रीफिंग में कही.
हथियार के साथ वीडियो बनाने वाले सही जगह लगाएं ऊर्जा : जेएस गंगवार
जेएस गंगवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अक्सर सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो आते रहते हैं, जिसमें युवा अवैध व नकली हथियार लहराते देखे जाते हैं. ऐसे लोगों पर स्थानीय पुलिस द्वारा लगातार नजर रखी जाती है और वीडियो आने के बाद छानबीन कर हथियार लहराने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. गंगवार ने ऐसे युवाओं को एशियन गेम्स में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों का उदाहरण देते हुए अपनी ऊर्जा को सही जगह पर लगाने को कहा.
अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय), श्री जितेंद्र सिंह गंगवार की राज्य के युवाओं से अपील-
“अपनी ऊर्जा का सही दिशा में करें उपयोग…..हाल के एशियन गेम्स में संघर्ष से जीवन के स्वरूप को सँवारने वाले खिलाड़ियों का दिया उदाहरण” I
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पुलिस या सेना में भर्ती हों ऐसे युवा
गंगवार ने कहा कि आज कई युवा सोशल मीडिया पर नकली हथियार या अवैध हथियार दिखा करके फेमस होना चाहते हैं. ऐसे युवाओं से बिहार पुलिस अपील करती है कि नकली हथियार लहराने के बजाय वो निशानेबाजी की प्रतियोगिता में जाएं या फिर पुलिस या सैन्य सेवा में भर्ती होकर वहां अपना योगदान दें. यहां उन्हें हथियार चलाने के साथ-साथ समाज की सेवा करने का भी मौका मिलेगा.
विधायक गोपाल मंडल मामले पर भी बोलें एडीजी
दरअसल प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जितेंद्र सिंह गंगवार से जदयू विधायक गोपाल मंडल द्वारा अस्पताल में हथियार लहराते प्रवेश करने को लेकर सवाल किया गया था. इस पर उन्होंने कहा कि अगर यह सोशल मीडिया पर वायरल है तो उन्हें अब तक जानकारी नहीं है. इसी दौरान उन्होंने बिहार के युवाओं से यह खास अपील की.
28 जिलों में मोबाइल और नौ पुलिस रेंज में क्षेत्रीय फोरेंसिक लैब होंगे स्थापित
इसके अलावा जितेंद्र सिंह गंगवार ने नियमित ब्रीफिंग में बताया कि साक्ष्यों के वैज्ञानिक विश्लेषण में विधि विज्ञान प्रयोगशाला (फोरेंसिक लैब) की कमी अब रोड़ा नहीं बनेगी. जल्द ही सूबे के 28 जिलों में अस्थायी मोबाइल फॉरेंसिक लैब और नौ पुलिस रेंज में स्थायी क्षेत्रीय फोरेंसिक लैब की स्थापना होगी. इसके लिए आवश्यक भवन निर्माण, उपकरण खरीद और वैज्ञानिकों के बहाली की प्रक्रिया चल रही है.
क्षेत्रीय फोरेंसिक लैब स्थापना की सहमति प्राप्त है
गंगवार ने बताया कि वर्तमान में पटना, भागलपुर और मुजफ्फरपुर प्रमंडल में स्थायी जबकि गया और पूर्णिया जिले में मोबाइल फोरेंसिक लैब कार्यरत है. शेष नौ प्रमंडलों शाहाबाद (डेहरी ऑन सोन), मगध (गया), मुंगेर, कोसी (सहरसा), पूर्णिया, दरभंगा, चंपारण (बेतिया) और सारण (छपरा) में क्षेत्रीय फोरेंसिक लैब की स्थापना को लेकर राज्य सरकार की सैद्धांतिक सहमति प्राप्त है. आवश्यक मापदंड को पूरा करने के लिए भवन निर्माण चल रहा है. लैबोरेटरी के उपकरणों की खरीद और साक्ष्यों का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों की बहाली प्रक्रिया भी जल्द पूरी कर ली जायेगी. इसके साथ ही शेष 28 जिलों में मोबाइल फोरेंसिक यूनिट की स्थापना को लेकर भी कार्रवाई की जा रही है, ताकि घटनास्थल पर जल्द से जल्द पहुंच कर वैज्ञानिक साक्ष्यों का एकत्रित किया जा सके.
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मुजफ्फरपुर और भागलपुर में डीएनए यूनिट की होगी स्थापना
एडीजी मुख्यालय ने बताया कि डीएनए जांच को लेकर पटना में दो यूनिट स्थापित है. जल्द ही इसका विस्तार करते हुए मुजफ्फरपुर और भागलपुर में भी डीएनए की एक-एक यूनिट स्थापित होगी. उन्होंने बताया कि जनवरी से अगस्त 2023 तक बिहार के विभिन्न फोरेंसिक लैबों को 8523 प्रदर्श जांच को मिले, जिनमें 91 फीसदी यानि 7747 प्रदर्श की जांच पूरी कर ली गयी है. इस अवधि के दौरान एफएसएल की टीम ने 595 मामलों में घटनास्थल पर जाकर वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्रित किये.