बिहार की सियासत में बड़ा फेरबदल हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है. बिहार में भाजपा अब सत्ता से बाहर हो चुकी है. वहीं फिर से प्रदेश में एकबार महागठबंधन की सरकार बनी है. जिसके मुखिया नीतीश कुमार को बनाने का फैसला लिया गया है. जदयू, राजद, कांग्रेस, हम और वामदलों के साथ बनी नयी सरकार में भागलपुर को भी बड़ा फायदा हुआ है. सदानंद सिंह के बाद एकबार फिर से कांग्रेस के किसी नेता को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है.
भागलपुर ने एक ऐसा दौर भी देखा जब यहां से कांग्रेस का दबदबा प्रदेश की राजनीति में रहा. सदानंद सिंह कहलगांव विधानसभा से जीत दर्ज करते रहे और सरकार में बड़ी भूमिका निभाते रहे. सदानंद सिंह के बाद भागलपुर विधानसभा से अजीत शर्मा ने कांग्रेस का दामन थामने के बाद से जीत दर्ज करके जिले में कांग्रेस के वजूद को जिंदा रखा. 2015 में जब महागठबंधन को सरकार बनाने का जनादेश मिला तो कांग्रेस को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली लेकिन भागलपुर की झोली खाली ही रही. अब एकबार फिर से उम्मीद जिंदा हुई है.
नीतीश कुमार ने एनडीए से नाता तोड़कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. महागठबंधन की तरफ से नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन रहे हैं. कांग्रेस भी अब नयी सरकार का हिस्सा है. वहीं कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजीत शर्मा को मंत्रीमंडल में शामिल किये जाने की चर्चा जोरों पर है. सोशल मीडिया पर उनके समर्थक भी इस बात से आश्वस्त होकर जश्न मनाने में अभी से जुट गये हैं. अजीत शर्मा को अगर मंत्री पद मिलता है तो भागलपुर व जिले में कांग्रेस पार्टी के लिए फिर से एक बड़ी उपलब्धि होगी.
बताते चलें कि भागलपुर विधानसभा से भाजपा की ओर से कभी अश्विनी चौबे प्रदेश में मंत्री रहे. कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह कहलगांव से चुनाव जीतकर प्रदेश सरकार के अंदर अहम पद पर रहे. विधानसभा अध्यक्ष के रूप में भी उनकी मजबूत छवि रही. वहीं अब एकबार फिर से जब कांग्रेस सरकार में शामिल हुई है तो भागलपुर की उम्मीदें जगी है. अगर अजीत शर्मा सरकार में मंत्री बनते हैं तो भागलपुर के विकास कार्य को गति मिल सकती है. अभी तक वो विपक्षी पार्टी के विधायक के रूप में विधानसभा में रहे. अब सरकार का हिस्सा हो चुके हैं.
Published By: Thakur Shaktilochan