Nitish kumar News: बिहार की सियासत में भूचाल आ गया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) का गठबंधन टूट गया है. जदयू की बैठक के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने जानकारी दी कि जदयू-भाजपा गठबंधन अब आधिकारिक रूप से बिखर चुका है. वहीं, पार्टी की बैठक में जेडीयू के विधायकों, सांसदों और नेताओं ने साफ तौर पर कहा है कि वे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के हर फैसले के साथ हैं.
नीतीश कुमार आज शाम चार बजे राज्यपाल फागू सिंह चौहान से मुलाकात कर अपना इस्तीफ सौंप दिया है. इन सब के बीच बिहार के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एनडीए (NDA) से नाता तोड़कर अब फिर से अपने पुराने सहयोगी लालू यादव की पार्टी आरजेडी (RJD) और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे.
बता दें कि बिहार में बीते पांच सालों में यह दूसरी बार है जब बीजेपी-जदयू के बीच गठबंधन टूटा है. इससे पहले साल 2013 में दोनों मतभेदों के चलते अलग हुए थे. हालांकि उस दौरान नीतीश कुमार राजद के साथ कंफर्ट महसूस नहीं कर रहे थे और साल 2017 में नीतीश कुमार वापस बीजेपी के साथ चले आए थे. अब एक बार फिर से बीजेपी का साथ छोड़कर नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ नई सरकार बनाने का कयास लगाया जा रहा है. बिहार में जारी धमासान के बीच बीजेपी आलाकमान बिहार की राजनीतिक स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं. वहीं, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी हालात को करीब से देख रहे हैं. हालांकि फिलाहल बिहार में सभी फैसले तेजस्वी यादव ही ले रहे हैं.
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने जदयू-भाजपा गठबंधन के बिखरने का आधिकारिक रूप से घोषणा कर चुकें है. गठबंधन टूटने के बाद अब सियासी बदलाव भी तय माना जा रहा है. नीतीश एक बार फिर से अपने साथी लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं, नीतीश कुमार के सियासी सफर की बात करें को नीतीश को बिहार की सियासत का चाणक्य कहा जाता है. साल 2005 से नीतीश कुमार बिहार के सर्वोच्च सियासी पद पर बने हुए हैं. हालांकि बीच-बीच में नीतीश कुमार के विचार और रूख भी बदलते रहे हैं. 994 में नीतीश कुमार ने अपने पुराने सहयोगी लालू यादव का साथ छोड़कर लोगों को काफी हैरान कर दिया था. उस दौरान उन्होंने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया था.
बीजेपी और समता पार्टी लगभग 17 सालों तक साथ रहीं. साल 2003 में समता पार्टी का नया स्वरूप सामने आया और पार्टी का नाम बदलकर जदयू कर दिया गया. साल 2013 तक बीजेपी और जेडीयू की दोस्ती कुछ उतार चढ़ाव के साथ बरकरार रही. बता दें कि 2013 में जब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद के लिए चुना था. उस दौरान नीतीश कुमार बीजेपी के इस फैसले से नाराज हो गए थे. और जदयू-बीजेपी की दोस्ती फिर से टूट गई थी. यह वही साल था जब नीतीश कुमार ने लालू यादव का दामन थाम लिया था और बिहार में प्रचंड बहुमत लाकर सरकार बनाई थी. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद नीतीश ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था.
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद नीतीश कुमार साल 2015 के बिहार विधानसभा की चुनावी तैयारियों में जुट गए. 2015 में नीतीश कुमार ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा. इस चुनाव में महागठबंधन को भारी जीत मिली थी. और नीतीश कुमार 2015 में पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने जबकि तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने.
2015 में महागठबंधन को प्रचंड बहुमत मिली थी. लेकिन महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार महज दो साल तक सरकार चला सके. साल 2017 में महागठबंधन में दरार पड़ गई. बिहार के डिप्टी सीएम और लालू यादव के बेटे तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो उन पर इस्तीफे का दबाव बनने लगा, लेकिन आरजेडी ने तेजस्वी के इस्तीफा देने से इनकार किया. 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने खुद ही इस्तीफा दे दिया और लालू यादव की पार्टी आरजेडी से नाता तोड़कर फिर से एनडीए के साथ दोस्ती कर ली. 27 जुलाई 2017 को वो फिर से सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए.
समय चक्र के आगे बढ़ते के साथ साल 2020 के बिहार विधान सभा चुनावों में बीजेपी और जेडीयू साथ मिलकर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार बीजेपी की ज्यादा सीटें आईं. बीजेपी की अधिक सीटें होने के बावजूद नीतीश कुमार ही सीएम की कुर्सी पर बैठे. अब करीब दो साल बाद ही फिर दोनों पार्टियों के बीच कलह सामने आई हैं.
बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार का सियासी आधार वोट बैंक ओबीसी और महादलित रहे हैं. करीब 8 से 10 फीसदी वोट शेयर के साथ वे जिस खेमे में होते हैं, सरकार उसकी लगभग तय हो जाती है. लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी एमवाई (MY) समीकरण यानी मुस्लिम-यादव को साधती है. जेडीयू ,आरजेडी और कांग्रेस का एक साथ आने से बिहार में बीजेपी के सामाजिक समीकरण को धक्का पहुंचाता है. ऐसे में दोनों अगर मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो सारे समीकरण ध्वस्त हो जाते हैं.