बिहार के गांव से निकले नेताओं ने बनायी देश में पहचान, राष्ट्रीय फलक पर छाये रहने वाले दिग्गजों को जानिए..

बिहार की सियासी माटी ने देश को कई सोना सौंपा है. राष्ट्रीय फलक पर छाये रहने वाले नेताओं की कतार है. कोई रेल मंत्री तो कोई शिक्षा मंत्री बनाए गए. बिहार के गांवों से निकल कर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे इन नेताओं के बारे में जानिए..

By Prabhat Khabar News Desk | January 14, 2024 7:23 AM

लोकसभा चुनाव में बिहार से जीतकर राष्ट्रीय फलक पर दर्जन भर से अधिक नेताओं ने अपनी पहचान बनायी. सासाराम की सीट से लगातार चुनाव जीत कर उपप्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले जगजीवन राम की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रही. आरा के मूल निवासी रामसुभग सिंह विक्रमगंज और बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर कांग्रेस की सरकार में रेल मंत्री बने. यों तो बाद के दिनों में बिहार से कई रेल मंत्री हुए, लेकिन रामसुभग सिंह बिहार से आने वाले पहले रेल मंत्री थे. रामसुभग सिंह के अलावा दरभंगा से तीन बार चुन कर आने वाले श्रीनारायण दास, केंद्र में मंत्री रहीं राम दुलारी सिन्हा, जॉर्ज फर्नांडिस, मंडल कमीशन के लिए चर्चित बीपी मंडल, ललित नारायण मिश्र, एलपी शाही, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, रविशंकर प्रसाद, भगवतिया देवी आदि दर्जनों नाम हैं, जिनकी पहचान बिहार के गांवों से निकल कर राष्ट्रीय स्तर तक बनी. पढ़िए मिथिलेश कुमार की रिपोर्ट…

बिहार से पहले रेल मंत्री बने रामसुभग सिंह

बिहार से पहले रेल मंत्री बने रामसुभग सिंह पहली लोकसभा से लेकर चौथी लोकसभा के सदस्य रहे. वे पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में भी मंत्री रहे. बाद में रेल मंत्री भी बने. वे लोकसभा में विपक्ष के पहले नेता भी रहे. संसद में उनके भाषण में बिहारी छाप रही. रामसुभग सिंह पहली बार सासाराम लोकसभा सीट से जगजीवन राम के साथ चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे. पहली और दूसरी लोकसभा में कई सीटों से दो-दो उम्मीदवार चुनाव जीतते थे. दूसरी बार भी वे सासाराम की सीट पर जगजीवन राम के साथ चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे. 1962 में तीसरी बार वे विक्रमगंज की सीट से चुनाव जीते और चौथी बार 1967 में बक्सर सीट से लोकसभा का चुनाव जीता. 1969 में कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (संगठन) में रहे. वे 1969 में लोकसभा में विपक्ष के पहले नेता थे. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था.

रामदुलारी सिन्हा पहली बार पटना से जीतीं

रामदुलारी सिन्हा पहली बार पटना से चुनाव जीत कर सांसद बनीं थी. उन्होंने आजादी की लड़ाई में भी भाग लिया था. स्वतंत्रता मिलने के बाद उन्होंने संसदीय जीवन में प्रवेश किया. पहले विधायक बनीं. बाद में 1962 में पहली बार पटना लोकसभा की सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंचीं. इसके बाद 1980 और 1984 में वे शिवहर लोकसभा सीट से चुनाव जीतीं. इस दौरान वे केंद्र सरकार में गृह एवं सूचना प्रसारण समेत कई विभागों की मंत्री बनीं. बाद में वे केरल का राज्यपाल भी बनीं.

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उप प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे बाबू जगजीवन राम

देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे बाबू जगजीवन राम ने देश में बिहार की अलग पहचान बनायी. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध जिसमें बंगलादेश का उदय हुआ, उस समय देश के रक्षा मंत्री के रूप में बाबू जगजीवन राम देशदुनिया में छाये रहे. जगजीवन राम को देश की पहली सरकार में भी मंत्री बनने का अवसर मिला. आरा जिले के मूल निवासी जगजीवन राम जनता सरकार में भी प्रभावी भूमिका में रहे. राष्ट्रीय स्तर पर वे एक दमदार व दलित नेता के रूप में पहचाने गये.

दरभंगा से तीन बार सांसद रहे श्रीनारायण दास

लोक सभा सचिवालय ने बेस्ट पार्लियामेंटेरियन नाम से किताब प्रकाशित की. इस किताब में दरभंगा से तीन बार चुनाव जीतकर आने वाले श्रीनारायण दास की जीवन पर विस्तार से जानकारी है. श्रीनारायण दास 1951,1957 और 1962 में कांग्रेस के टिकट पर दरभंगा सीट से चुनाव जीते. 1967 में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में उन्हें दरभंगा की जगह जयनगर सीट से उम्मीदवार बनाया गया,लेकिन वे चुनाव जीत नहीं पाये.उन्हें नेहरू जी का करीबी माना जाता था.

ललितेश्वर प्रसाद शाही शिक्षा मंत्री बने

बिहार के मुजफ्फरपुर से 1984 में लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे ललितेश्वर प्रसाद शाही केंद्र में शिक्षा विभाग के मंत्री बनाये गये. शिक्षा मंत्री के तौर पर उनकी पहचान राष्ट्रीय नेताओं के रूप में बनी. बाद के दिनों में वे बिहार सरकार में भी मंत्री रहे. एलपी शाही आजादी की लड़ाई में भी सक्रिय रहे थे. वे बिहार सरकार में शिक्षा, सिंचाई, सहकारिता, कृषि, स्वास्थ्य, पंचायत, आपूर्ति, खनन, उद्योग, ट्रांसपोर्ट, जन संपर्क समेत कई विभागों के मंत्री भी थे.

नोट: राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले और सियासी दिग्गजों के बारे में आप अगली कड़ी में पढ़ेंगे…

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