मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं व विधानसभा प्रभारियों को कहा है कि वे सरकार की 18 साल की उपलब्धियों को जनता तक ले जायें. मुख्यमंत्री के रूप में उनके द्वारा किये गये कार्यों का बुकलेट तैयार होगा. इसे निचले स्तर तक बांटने और बताने की जिम्मेदारी पार्टी नेताओं की होगी. सोमवार को मुख्यमंत्री आवास पर जदयू के विधानसभा प्रभारियों एवं अन्य पार्टी नेताओं के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक में विधानसभा प्रभारियों की भूमिका खत्म करने का फैसला हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्द ही 20 सूत्री कमेटी का गठन किया जायेगा.
करीब दो घंटे तक चली बैठक में विधानसभा प्रभारियों के पद खत्म कर दिये गये. अब जिला स्तर पर प्रभारियों का मनोनयन होगा. बैठक को मुख्यमंत्री के साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा, सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी, संजय कुमार झा, बिजेंद्र प्रसाद यादव और अशोक चौधरी ने भी संबोधित किया. मुख्यमंत्री ने पार्टी नेताओं से कहा कि विधानसभा प्रभारियों की जरूरत नहीं है. जिला स्तर पर जिम्मेदारी दी जाये. बड़े जिलों में पांच-पांच लोगों को जवाबदेही देने को कहा, ताकि वे लोग प्रखंड अध्यक्ष से समन्वय बनाकर पार्टी को मजबूत बनाने की दिशा में काम करें.
Also Read: मुजफ्फरपुर नाव हादसा: 12 में 9 के मिले शव, लापता तीन का पुतला बनाकर किया अंतिम संस्कार…
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क, शिक्षा, कृषि और बिजली के क्षेत्र में कितने काम किये गये, इस सबकी जानकारी पार्टी के नेता आम लोगों के बीच मुहैया करायें. बैठक में कुछ विधानसभा प्रभारियों ने भी अपनी बात रखी. अंत्योदय योजना को लेकर आये सुझाव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कोई केंद्र सरकार और गुजरात की योजना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा विधेयक लाया गया है. हमारी सरकार पहले से ही गरीबों के कल्याण के लिए योजना चला रही है. उन्होंने इस संदर्भ में कृषि रोडमैप का नाम लिया.
Also Read: गोपालगंज में दो पक्षों के बीच विवादः जवानी में हुआ था केस, मरने के बाद आया फैसला…
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जल्द ही 20 सूत्री कमेटी का गठन करेंगे. इसके लिए सहयोगी दलों से भी नाम मांगा गया है. उनका नाम आये तो ठीक नहीं तो जदयू कार्यकर्ताओं को इसमें जगह दी जायेगी और सहयोगी दलों का कोटा उनके द्वारा आने वाले नामों के लिए सुरक्षित रख दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि यह पहले ही हो जाता, लेकिन जब भाजपा भी सरकार में थी, तो उस समय वे लोग अधिक सीटें मांग रहे थे. इसलिए इसे छोड़ दिया गया था.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विधानसभा प्रभारी की जानकारी तो मुझे थी ही नहीं. इसकी कोई जरूरत नहीं है. जहां हम चुनाव ही नहीं लड़ते हैं,वहां पार्टी पदाधिकारी की क्या जरूरत है ? अगर प्रभारी ही बनाना है तो जिला स्तर पर बनाइए. बड़े जिलों में आवश्यकतानुसार प्रभारी का दायित्व दीजिए. उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता सरकार के कामों को नीचे तक ले जायें. सोशल मीडिया के माध्यम से अच्छे कामों का प्रचार करें. बैठक में सभी 243 विधानसभा प्रभारी शामिल हुए. इनमें अरविंद कुमार सिंह, रंजीत कुमार झा, ओम प्रकाश सिंह सेतु आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे.