Bihar Politics: 2020 में पूरी नहीं हुई LJP की उम्मीद, नये साल में क्या पिता की तरह पार्टी संभाल पाएंगे चिराग?
Bihar Politics, LJP: साल 2020 कोरोना सकंट (Coronavirus Crisis) के कारण याद रखा जाएगा. कोरोना संकट में ही बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan sabha chunav 2020 ) हुआ. यह साल लोजपा और लोजपा परिवार के लिए काफी दुखदायी भरा रहा. आठ अक्टूबर 2020 को लोजपा के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन हो गया. एक तरफ जहां लोजपा को बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में करारी हार का सामना करना पड़ा तो वहीं, लोजपा संस्थापक की मृत्यु के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट भी गंवानी पड़ी.
Bihar Politics, LJP: साल 2020 कोरोना सकंट के कारण याद रखा जाएगा. कोरोना संकट में ही बिहार विधानसभा चुनाव हुआ. यह साल लोजपा और लोजपा परिवार के लिए काफी दुखदायी भरा रहा. आठ अक्टूबर 2020 को लोजपा के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन हो गया. एक तरफ जहां लोजपा को बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में करारी हार का सामना करना पड़ा तो वहीं, लोजपा संस्थापक की मृत्यु के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट भी गंवानी पड़ी.
लोजपा संस्थापक का निधन ऐसे समय में हुआ जब बिहार में चुनाव घोषित था. बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा इकलौती ऐसी पार्टी रही, जिसने अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया. हालांकि इसका नतीजा सीटों के लिहाज से काफू बुरा रहा. बिहार में एनडीए से अलग होना और नीतीष कुमार पर हमलवार रहना पूरे चुनाव के बीच सुर्खियों में रहा.
पिता की मौत के बाद चिराग पासवान ने अकेले दम पर मोर्चा संभाला. चुनाव से पहले और मतदान होने तक चिराग पासवान दावा कर रहे थे कि वह भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाएंगे और बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार में हुए भ्रष्टाचार में जेल भेजने का काम करेंगे. हालांकि उनका यह बयान कोरा ही साबित हुआ.
लोजपा ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से महज एक पर जीत मिली. 2015 चुनाव में भाजपा गठबंधन के साथ लड़ने पर लोजपा को दो सीटों पर जीत मिली थी. 2020 चुनाव में भले ही लोजपा को करारी हार मिली वोट फीसदी के हिसाब से उम्मीद की किरण भी दिखी. एनडीए गठबंधन को खासकर जदयू को नुकसान पहुंचाने का जो संकल्प लिया था उसमें कहीं ना कहीं लोजपा जरूर कामयाब हो पाई.
चिराग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि दूसरे अन्य दलों के मुकाबले हमें पिछले 2015 के तुलना में 2020 में वोट परसेंटेज में दोगुना की वृद्धि हुई है. बिहार की 24 लाख जनता ने ‘बिहारी फर्स्ट, बिहार फर्स्ट’ को सराहा है. इसलिए अगली बार पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरेगे. लोजपा ने चुनाव के तुरंत बाद पार्लियामेंट्री बोर्ड समेत सभी कमेटियों को भंग कर दिया.
साथ ही फैसला लिया गया है कि नए साल में नए जोश के साथ नई कमेटी का गठन होगा. जिसमें नए और पुराने साथियों को रखा जाएगा. पार्टी की बैठक इसी माह होनी है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर रामविलास पासवान होते तो शायद लोजपा एनडीए से अलग नहीं होती और 2020 के चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती. लेकिन चुनाव में हार के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या चिराग पासवान पार्टी को पिता की तरह संभाल पाएंगे.
Posted By: Utpal kant