Bihar Politics: बिहार में फिर एक उपचुनाव का परिणाम सामने आ चुका है. गोपालगंज और मोकामा के बाद अब कुढ़नी विधानसभा का उपचुनाव संपन्न हो गया. बेहद रोचक मुकाबले में यहां भाजपा की जीत हुई और कड़े टक्कर में जदयू को हार का सामना करना पड़ा. कुढ़नी की हार को लेकर महागठबंधन मंथन भी करेगा लेकिन पिछले कुछ चुनाव परिणामों को देखा जाए तो अब अनेक वजहों में एक बड़ा फैक्टर भी सामने दिखने लगा है तो महागठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचाता है.
बिहार में उपचुनाव के परिणामों को देखें तो ये कहना गलत नहीं होगा कि अब बिहार की सियासत में वोट बैंक का ट्रेंड तेजी से बदल रहा है. किसी जाति व धर्म विशेष को अपना समझकर आंख मूंद लेना बड़े सियासी दलों को नुकसान पहुंचा रहा है. एनडीए हो या महागठबंधन, दोनों पर यह लागू है. वहीं महागठबंधन के मजबूत वोट बैंक में अब आसानी से सेंधमारी की जा रही है. वोट कटने से महागठबंधन को जो नुकसान हो रहा है वो पिछले कुछ चुनावों में साफ दिख रहा है.
महागठबंधन में राजद की बात करें तो मुस्लिम वोटों का बिखराव अब बड़ी समस्या बनी हुई है. ओवैसी की पार्टी AIMIM ने जहां भी दस्तक दी है, उसका नुकसान महागठबंधन को भुगतना पड़ा है. बात विधानसभा चुनाव 2020 की करें या गोपालगंज उपचुनाव की. AIMIM अच्छे खासे तादाद में मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर शिफ्ट करने में सफल रही है. कुढ़नी में भी तीन हजार से अधिक वोट AIMIM उम्मीदवार को मिले. इन वोटों में अधिकतर महागठबंधन के ही हिस्से में जाती रही है. इसमें कोई दोराय नहीं है कि महागठबंधन को ओवैसी की एंट्री का खामियाजा भुगतना पड़ता है.
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वहीं गोपालगंज में विधानसभा चुनाव 2020 में बसपा से साधु यादव तो उपचुनाव 2022 में उनकी पत्नी इंदिरा यादव ने काफी वोट काटे. ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी यहां वोट काटे और इसका खामियाजा राजद को भुगतना पड़ा जब लालू यादव के गृह जिला में ही तमाम ताकत झोंककर राजद नहीं जीत सकी और भाजपा ने फिर अपना झंडा गाड़ दिया.
कुढ़नी उपचुनाव की बात करें तो यहां AIMIM उम्मीदवार और मुकेश सहनी की पार्टी VIP के उम्मीदवार ने भी महागठबंधन की हार में बड़ी भूमिका निभाई. VIP को करीब 10 हजार वोट मिले. जबकि जदयू उम्मीदवार कांटे की टक्कर में महज 3632 वोटों से हारे. महागठबंधन को वोटों के बिखराव को हर हाल अब रोकने की जरुरत है. इसका सीधा फायदा एनडीए को मिलता है.
Posted By: Thakur Shaktilochan