Bihar Politics: लालू के बिखरते ‘MY’ को साधने निकले तेजस्वी यादव, 15 दिसंबर से इन जिलों में करेंगे संवाद यात्रा
Bihar Politics: बिहार के सीमांचल जिलों में 15 दिसंबर से तेजस्वी यादव कार्यकर्ता संवाद यात्रा करने वाले हैं. इससे पहले वह इस यात्रा के तीन चरणों को पूरा कर चुके हैं. चौथे चरण की यात्रा तेजस्वी यादव के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है. आइए जानते हैं पूरा समीकरण.
Bihar Politics: राजद नेता तेजस्वी यादव 15 दिसंबर से कार्यकर्ता संवाद यात्रा के चौथे चरण की शुरुआत करेंगे. चौथे फेज की यात्रा 15 दिसंबर से शुरू हो कर 22 दिसंबर तक चलेगी. इस दौरान वे कोसी सीमांचल के 8 जिलों की 44 विधानसभा सीटों को साधने का प्रयास करेंगे. उन 8 जिलों में सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और भागलपुर शामिल है. इस यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव इन जिलों में खिसकते अपने कोर वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास करेंगे. तेजस्वी यादव के लिए चौथे चरण की यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मुस्लिम बाहुल्य ये क्षेत्र कभी लालू यादव को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाता था. ऐसे में बिहार की हर राजनीतिक पार्टी की नजर इसी इलाके में है. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो मुस्लिम वोट बैंक तेजी से राजद से छिटक रहा है. 2020 के चुनाव में पहले AIMIM ने यहां की 5 सीटें जीत कर महागठबंधन को झटका दिया था. अब प्रशांत किशोर यहां मजबूत संगठन खड़ा करने में जुटे हैं.
यात्रा के जरिए 8 जिलों को साधने का प्रयास
इस यात्रा के जरिए जिन 8 जिलों को तेजस्वी यादव साधने जा रहे हैं, उनमें फिलहाल 14 सीटों पर बीजेपी और 13 सीटों पर जेडीयू का कब्जा है. जबकि कांग्रेस के पास 6, राजद के पास मात्र 5 विधायक हैं. पिछले चुनाव में यहां से AIMIM के 5 और माले से एक विधायक जीते थे. ऐसे में देखें तो एनडीए को 27 और महागठबंधन को 17 सीटों पर जीत मिली थी.
किशनगंज में सबसे अधिक मुस्लिम वोटर
सीमांचल के इलाकों को देखें तो यहां सबसे अधिक मुस्लिम वोटर हैं. किशनगंज में सबसे अधिक 67 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. इसके बाद कटिहार में 38 फीसदी, अररिया में 32 फीसदी, पूर्णिया में 30 फीसदी मुस्लिम वोटरों की संख्या है. चुनाव प्रचारों के दौरान बीजेपी इन इलाकों में PFI, ISI जैसे संगठनों की गतिविधियों का मुद्दा उठाती रही है. वहीं दूसरी तरफ AIMIM लगातार सीमांचल को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करता रहा है.
यह है तेजस्वी यादव का प्लान
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो तेजस्वी जानते हैं कि इन इलाकों के मुसलमान एकजुट रहें तो पूरे मुस्लीम वोटरों पर उनकी पकड़ रहेगी. AIMIM ने पिछली बार अपनी मजबूती दिखाई थी. इसलिए तेजस्वी को यहां मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. तेजस्वी यादव चाह रहे हैं कि 2025 से पहले जिस भी तरह की कमी है, उसे ठीक किया जाए. उनके कोर वोटर्स ही अगर नाव से उतर जाएंगे तो उन्हें और परेशानी होगी.