बिहार में जाति आधारित जनगणना की तैयारी पूरी, कर्मचारियों को मिलेगी ट्रेनिंग, जानें क्यों है खास

बिहार में जातीय जनगणना करवाने की प्रक्रिया जनवरी के प्रथम सप्ताह में शुरू हो जायेगी. इसके लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की राज्यस्तरीय ट्रेनिंग 15 दिसंबर को बिपार्ड में होगी. इसमें राज्य के सभी जिलों से 10-10 अधिकारी शामिल होंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2022 8:24 PM

बिहार में जातीय जनगणना करवाने की प्रक्रिया जनवरी के प्रथम सप्ताह में शुरू हो जायेगी. इसके लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की राज्यस्तरीय ट्रेनिंग 15 दिसंबर को बिपार्ड में होगी. इसमें राज्य के सभी जिलों से 10-10 अधिकारी शामिल होंगे. ये अधिकारी व कर्मचारी अपने-अपने जिले में बतौर ट्रेनर काम करेंगे. यानी राज्यस्तरीय प्रशिक्षण पाने वाले अधिकारी अपने-अपने जिले में अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षण देंगे. पहले चरण में 7-21 जनवरी तक मकानों की गिनती कर मकान पर नंबरिंग करने का काम पूरा होगा. जनगणना कर्मी हर घर का एक नंबर देंगे, जो स्थायी पता के रूप में काम करेगा और भविष्य में सारे पत्राचार इसी के आधार पर होंगे. दूसरे चरण में मार्च में जाति के साथ-साथ लोगों की आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी संग्रह की जायेगी.इसकी अधिसूचना सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी की है.

ऐसे की जायेगी मकानों की नंबरिंग

इस जनगणना में मकानों की नंबरिंग रोड और गली के आधार पर होगी. किसी मोहल्ले में रोड नंबर के आधार पर मकानों की नंबरिंग की जायेगी. अपार्टमेंट की नंबरिंग जिस मोहल्ले की जिस गली में है, उस गली में जितने मकान उसकी गणना के बाद अपार्टमेंट का नंबर आयेगा वह उसका नंबर होगा. उसी के आधार पर उसमें बने सारे फ्लैट को नंबर दिया जायेगा.इसी आधार पर इलाकों में बुनियादी सरकारी सुविधाओं में शामिल स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बिजली, पेयजल, सड़क, गली-नाली आदि की विस्तृत जानकारी भी जुटायी जाएगी.

देश में 1931 में जाति आधारित जनगणना की गयी थी

इससे पहले देश में 1931 में जाति आधारित जनगणना की गयी थी.वीपी सिंह सरकार ने जिस मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कर पिछड़ों को आरक्षण दिया, उसने भी 1931 की जनगणना को आधार मान कर देश में ओबीसी आबादी 52% मानी थी.हालांकि, आजादी के बाद पहली बार 1951 में जनगणना हुई थी. तब से अब तक हुई सभी सात जनगणना में केवल अनुसूचित जाति-जनजाति का जातिगत आंकड़ा ही प्रकाशित होता रहा है. बाकी जातियों का आंकड़ा प्रकाशित नहीं किया जाता रहा है, जिस कारण देश की ओबीसी आबादी का ठीक-ठीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है.2011 की जनगणना के दौरान यूपीए सरकार ने सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसइसीसी) करायी थी, लेकिन प्रकाशित नहीं की गयी.

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