Bihar News: बिहार की कुछ बेहद नामचीन पहचानों में एक यहां का मशहूर मगही पान भी है. इसे जीआइ टैग प्राप्त है. बाजार में उचित मूल्य न मिल पाने के कारण मगही पान के ज्यादातर किसान समस्या से घिरे हैं. लेकिन अब मगही पान उत्पादक किसानों को औने-पौने दाम में पान के पत्ते को बेचने की मजबूरी नहीं होगी. मगही पान के पत्ते की सप्लाई विदेशों में भी होगी. पान उत्पादक किसानों को अब ज्यादा मुनाफा होगा.
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपेडा) व बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के बीच टाई अप होने जा रहा है. इसमें जीआई टैग प्राप्त उत्पाद मखाना, जर्दालु आम, कतरनी चावल, लीची एवं मगही पान का एक्सपोर्ट करने का प्लान है. विदेशों में निर्यात करने के लिए कुछ क्वालिटी टेस्ट की जरूरत होती है. टेस्ट में उत्पाद के ओके होने के बाद ही उसका निर्यात किया जा सकता है.
पान अनुसंधान केंद्र के प्रभारी, डॉ एसएन दास ने एपेडा के डीजीएम स्मिधा गुप्ता से बुधवार को लंबी बात हुई. इस दौरान मगही पान के पत्ते को निर्यात करने संबंधी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. उन्होंने बताया कि विदेशों में निर्यात करने के लिये मगही पान के पत्ते की साल्मोनेला टेस्ट आवश्यक है. यह टेस्ट गुड़गांव में होता है.
गुड़गांव की फेयर लेबोरेट्री में इसकी जांच होगी. टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद ही मगही पान के पत्ते को विदेशों में निर्यात किया जा सकेगा. एपेडा के डीजीएम स्मिधा गुप्ता ने कोलकाता के एएम एक्सपोर्टर से पान अनुसंधान केंद्र के प्रभारी, डॉ. एसएन दास ने बातचीत करायी है.
एएम एक्सपोर्टर ने मगही पान के पत्ते का टेस्ट रिपोर्ट सही आने पर उसे विदेशों में एक्सपोर्ट करने का आश्वासन दिया है. एक्सपोर्टर ने होली के बाद पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर आकर मगही पान उत्पादक किसानों से मिलने की बात कही है. माइक्रो बायोलॉजिकल टेस्ट में सेफ्टी सर्टिफिकेट मिलने के बाद मगही पान के पत्ते को इंग्लैंड, अमेरिका, फ्रांस व अरब देशों में निर्यात किया जायेगा. इससे मगही पान उत्पादक किसानों को काफी लाभ होगा.
केंद्र के प्रभारी डॉ. एसएन दास ने मगही पान उत्पादक किसानों के हित में यह कार्य करने के लिये बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के वाइस चांसलर डॉ. आर.के. सोहाने के प्रयास की प्रशंसा की. इधर, डॉ. आर.के. सोहाने ने बताया कि मगही पान को निर्यात करने के लिये एएम एक्सपोर्टर के प्रसुत कुमार से आग्रह किया गया है. उनकी केंद्र के प्रभारी. डॉ. एसएन दास से बात करायी गयी है. अब सब कुछ माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्ट पर निर्भर करता है. टेस्ट रिपोर्ट ठीक आयी तो मगही पान के पत्ते का निर्यात शुरू हो जायेगा.
डॉ. एसएन दास ने बताया कि मगही पान के पत्ते के निर्यात होने से इसके उत्पादक किसानों के दिन बहुरेंगे. उन्हें बनारस ले जाकर मगही पान के पत्ते को औने-पौने दाम पर नहीं बेचना पड़ेगा. किसानों को समय पर भुगतान होगा और अधिक लाभ प्राप्त होगा. अभी पान उत्पादक किसान बनारस ले जाकर मगही पान बेचते हैं.
जहां न तो उचित दाम नहीं मिल पाता है और समय पर भुगतान भी नहीं होता है. नालंदा के अलावा नवादा, गया एवं औरंगाबाद जिलों के हजारों किसान मगही पान की खेती करते हैं. पान के पत्ते की मार्केटिंग की सही व्यवस्था नहीं होने से किसानों को काफी नुकसान होता है. निर्यात होने से किसानों को फायदा होगा.
Posted By: Utpal Kant