बिहार में मिल रहा प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट से उल्टा फैसला आने पर होगा रद्द? जानिए क्या कदम उठाएगी सरकार..

बिहार सरकार राज्यकर्मियों को प्रमोशन दे रही है. सरकार ने फैसला किया है कि 17 फीसदी पदों को फ्रीज करके बाकि बचे पदों पर प्रोन्नति देगी. दरअसल, मामला सुप्रीम कोर्ट में फंसा हुआ है इसलिए सरकार प्रमोशन नहीं दे पा रही थी. जानिए अगर उल्टा फैसला आता है तो क्या होगा...

By ThakurShaktilochan Sandilya | October 15, 2023 9:16 AM
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Bihar Promotion News: बिहार सरकार ने राज्यकर्मियों के लिए बड़ा फैसला लिया है. लंबे अरसे के बाद बिहार सरकार अपने कर्मियों और अधिकारियों को प्रमोशन दे रही है. करीब 7 साल के बाद फिर से राज्य सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों को नियमित प्रमोशन और उच्च स्तर का वेतनमान मिलेगा. सरकार के इस फैसले राज्यकर्मियों के बीच खुशी का माहौल जरूर है लेकिन उनके मन में एक सवाल अभी भी चल रहा है कि अगर प्रमोशन मिलने के बाद अदालत का कुछ ऐसा फैसला आ जाता है जो इस निर्णय के खिलाफ हो तो फिर क्या होगा. क्या सरकार उस स्थिति में प्रमोशन रद्द कर देगी. क्या प्रमोशन के बाद मिलने वाली सुविधा और वेतन के लिए जुर्माना लगेगा? दरअसल, बिहार सरकार ने इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए ही प्रमोशन देने का फैसला किया है और इसकी भी तैयारी सरकार ने कर ली है कि अगर सुप्रीम कोर्ट से कुछ अन्यथा फैसला आ जाता है तो उस स्थिति में सरकार क्या तय करेगी. बता दें कि बिहार सरकार के सभी विभागों में प्रोन्नति (प्रमोशन) कई वर्षों से बंद है. इसके पीछे की वजह सुप्रीम कोर्ट में इससे जुड़े मामले की सुनवाई है जो बीते कई सालों से चल रही है.


लंबे अरसे के बाद राज्यकर्मियों को मिल रहा प्रमोशन

बिहार सरकार लंबे अरसे के बाद राज्यकर्मियों को प्रमोशन दे रही है. सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक की गयी और बड़ा फैसला इस ओर लिया गया. अब सरकार अपने कर्मचारियों और पदाधिकारियों को प्रमोशन देने की तैयारी में लग गयी है. इसे दशहरा और दीपावली का बड़ा तोहफा माना जा रहा है. प्रमोशन मिलने पर जो पदाधिकारी जिस स्तर पर सेवा दे रहे होंगे, उन्हें अब उसी उच्च स्तर का वेतनमान और सुविधाएं मिलेंगी.प्रमोशन में आरक्षण की स्थिति को भी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है.

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17 प्रतिशत सीटों को किया गया फ्रीज

नीतीश सरकार ने प्रमोशन देने के फैसले पर यह भी तय किया है कि एससी व एसटी वर्ग के 17 प्रतिशत पदों पर प्रमोशन नहीं दिया जाएगा. यानी 100 में 17 सीटों पर प्रमोशन नहीं मिलेगा. इन 17 सीटों में 16 सीटों को अनुसूचित जाति और एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए फ्रीज कर दिया गया है. दरअसल, बिहार सरकार एससी और एसटी वर्ग के सरकारी सेवकों को प्रमोशन में आरक्षण देने संबंधी नियमावली 2016 में लेकर आयी थी. इसके तहत एससी/एसटी वर्ग के सरकारी सेवकों को प्रमोशन में आरक्षण मिलना था. लेकिन यह मामला अदालत में चला गया और तब से प्रमोशन का पेंच सुलझा नहीं है. सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गयी है.

सुप्रीम कोर्ट गयी है बिहार सरकार..

कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव डा एस सिद्धार्थ ने बताया कि प्रमोशन में आरक्षण का मामला वर्ष 2016 से लंबित है. जिसकी वजह से राज्य सरकार की सेवाओं में उच्चतर पदों पर नियमित प्रोन्नति नहीं दी जा सकी.उन्होंने बताया कि जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में आ जाएगा. तब ये 17 फीसदी पदों को सरकार उसी आदेश के अनुरूप भरेगी. फैसला आने के बाद प्रोन्नति को लेकर फिर से पूरी एक्सरसाइज (प्रकिया) की जायेगी. साथ ही उस समय प्रोन्नति में रोस्टर के बिंदुओं का भी पालन किया जायेगा.

जनवरी 2024 में होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई..

बता दें कि इस पूरे मामले में पटना हाईकोर्ट से बिहार सरकार को निराशा हाथ लगी थी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था. अदालत ने 15 अप्रैल 2019 को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था और अब लंबे अरसे बाद भी इसपर फैसला नहीं आया था. कुछ महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि इसपर जल्द सुनवाई नहीं होगी. अगले साल यानी वर्ष 2024 में सुनवाई की जाएगी. बता दें कि प्रमोशन रूकने की वजह से कई पद खाली पड़े हुए हैं. इन पदों पर रिटायर्ड कर्मियों या कार्यकारी प्रभार के जरिए काम चलाना पड़ रहा है. वहीं राज्य कर्मियों को प्रोन्नति के खाली 76,525 पदों को जल्द से जल्द प्रमोशन से भरे जाने की कवायद तेज हो गयी है.

अगर सुप्रीम कोर्ट ने दिया उल्टा फैसला तो सरकार उठाएगी ये कदम..

वहीं अब एक सवाल जो सामने आ रहा है कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट का अन्यथा फैसला आने पर प्रमोशन के बाद मिलने वाली राशि वसूलेगी. तो अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रोन्नति के बाद सरकार हर स्तर पर उच्च स्तर का नियमित वेतनमान और सुविधाएं उस पद पर आसीन कर्मचारी व अधिकारियों को देगी. सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले में अगर कोई विपरीत फैसला आता है तो वरीय स्तर पर नियमित रूप से काम करनेवाले अधिकारी अपने पहले वाले पद पर चले जायेंगे. इस दौरान उन्हें राज्य सरकार से जो उच्च स्तर के वेतनमान की राशि दी गयी होगी, उसे वसूला नहीं जाएगा. उच्चतर स्तर पर काम करनेवाले पदाधिकारियों से किसी प्रकार से राशि की का जुर्माना नहीं लिया जायेगा.

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