बिहार रियल इस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल (रिएट) ने दानापुर स्थित एक प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन मामले की सुनवाई के दौरान बिहार रेरा सदस्यों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए उनको रेरा कानूनों का प्रशिक्षण दिलाये जाने को जरूरत बताया है. ट्रिब्यूनल के चेयरमैन अरुण कुमार और सदस्य (तकनीकी/प्रशासनिक) सुनील कुमार सिंह की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार इस प्रशिक्षण के लिए बिहार ज्यूडिशियल एकेडमी में व्यवस्था कर सकती है. इस ऑर्डर की एक कॉपी मुख्य सचिव को निर्णय के अनुपालन को लेकर भेजने का निर्देश दिया गया है.
दानापुर स्थित नरेश चंद्र जैस्कन गैलेक्सी मॉल को बगैर बिल्डिंग नक्शा एवं वैध कागजात के रेरा द्वारा गलत तरीके से रजिस्टर्ड करने से संबंधित गोपाल प्रसाद सिंह की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि रेरा ऑथोरिटी की अनुचित कार्यप्रणाली को देखते हुए हम यह आदेश पारित करने के लिए विवश हैं.
वर्तमान मामले में यांत्रिक तरीके से बिना दिमाग लगाये प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन किया गया. ऐसा प्रतीत होता है कि ऑथोरिटी ने रेरा अधिनियम के समग्र उद्देश्यों और विशेष रूप से अधिनियम की धारा चार के प्रावधान को नहीं समझा है. इस धाारा के तहत परियोजना को पंजीकृत करने के लिए ऑथोरिटी के समक्ष सभी अनिवार्य दस्तावेजों को प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है. इसमें स्वीकृत प्लान, लेआउट प्लान आदि शामिल हैं. वर्तमान मामले में यह स्पष्ट है कि प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के समय कोई वैध स्वीकृत योजना अस्तित्व में नहीं थी. अधिनियम की धारा 4 के तहत उललेखित सभी अनिवार्य दस्तावेजों को पूरा किये बिना ऑथोरिटी द्वारा एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को रजिस्टर्ड नहीं किया जा सकता है.
बेंच ने कहा कि अधिनियमों की धारा 34 ऑथोरिटी के कार्यों की गणना करती है, जबकि अधिनियम की धारा 34 (ए) के अनुसार रजिस्ट्रेशन ऑथोरिटी के प्राथमिक कार्यों में से एक है. अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य घर खरीदारों या उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है. ट्रिब्यूनल बेंच ने केस का निबटारा करते हुए इसकी सुनवाई के लिए पुन: रेरा को वापस कर दिया है.