बिहार की राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ में रहने वाले अख्तर इमाम ने एक फैसले से दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. एक तरफ जहां केरल हथिनी हत्याकांड से समूचे देश में उबाल देखा गया. दूसरी तरफ पटना के फुलवारीशरीफ के जानीपुर में रहने वाले अख्तर इमाम ने अपने दोनों हाथियों मोती और रानी के नाम वसीयत कर दी. यहीं नहीं अकाउंट खोल उसमें चार लाख से ज्यादा रुपये भी डिपॉजिट कर दिए. अख्तर इमाम का कहना है कि उनकी वसीयत से सिर्फ मोती और रानी की नहीं बल्कि, देश के दूसरे हाथियों की देखभाल भी हो सकेगी.
एशियन एलिफेंट रिहैबिलिटेशन एंड वाइल्ड लाइफ एनिमल ट्रस्ट (ऐरावत) के मैनेजिंग ट्रस्टी और चेयरमैन अख्तर इमाम का समूचा जीवन देश के हाथियों के लिए समर्पित है. उनका सपना हाथियों को चेन-फ्री करना है. वो देश के हाथियों के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं. वो चाहते हैं हाथियों को घूमने, खाने-पीने की छूट हो. उन पर किसी तरह का अत्याचार भी नहीं हो. केरल की घटना से अख्तर इमाम को काफी धक्का लगा है. उनकी मानें तो हाथी बहुत समझदार और संवेदनशील जीव होते हैं. वो इंसान के सबसे अच्छे दोस्त हैं. उन्हें देखभाल की जरूरत है.
अख्तर इमाम का कहना है कि उनको बचपन से ही हाथियों से लगाव रहा है. वो हाथियों की बचपन से देखभाल कर रहे हैं. मोती और रानी के बिना उनका एक पल गुजारना मुश्किल है. उनकी आवाज सुनकर दोनों हाथी खुशी से झूमने लगते हैं. अख्तर इमाम दोनों हाथियों के खाने-पीने से लेकर सारी जरूरतों का ख्याल रखते हैं. बाकायदा उन्होंने लोगों को दोनों हाथियों की देखभाल के लिए लगा रखा है. अख्तर के मुताबिक, हमें हाथियों समेत दूसरे जानवरों की देखभाल करनी चाहिए. जिंदगी में पैसा कमाना कुछ नहीं होता. उसका सही इस्तेमाल भी होना चाहिए.
हाथियों के लिए अपना सब कुछ दान करने वाले अख्तर इमाम का उनसे लगाव काफी खास है. अख्तर इमाम के मुताबिक, एक बार किसी ने उन पर जानलेवा हमला करने की कोशिश की थी. उस समय हाथी ने ही उनकी जान बचायी थी. हाथी ने हमलावर को देखते हुए हल्ला करना शुरू कर दिया. जिस कारण अख्तर इमाम की जिंदगी बच गयी. हाथियों के लिए उनके समर्पण को देखकर लोग उन्हें हाथियों का असली साथी कहकर बुलाते हैं. पटना के अख्तर इमाम जैसे शख्स ही दुनिया को सीख देते हैं और बेजुबानों से भी मोहब्बत करने के लिए प्रेरित करते हैं.