Bihar School: कोरोना काल के बाद पहली बार हो रही थी पहली से आठवीं की परीक्षा में प्रश्न पत्र कम पड़े

सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के पहले दिन ही शिक्षा विभाग की तैयारियों की पोल खुल गयी. बुधवार को कई स्कूलों में प्रश्न पत्र कम पड़ गये. इस कारण प्रखंडों से लेकर जिला मुख्यालय के कार्यालयों में अफरातफरी की स्थिति बनी रही.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2022 9:49 PM

सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के पहले दिन ही शिक्षा विभाग की तैयारियों की पोल खुल गयी. बुधवार को कई स्कूलों में प्रश्न पत्र कम पड़ गये. इस कारण प्रखंडों से लेकर जिला मुख्यालय के कार्यालयों में अफरातफरी की स्थिति बनी रही. स्थिति यह हो गयी कि कई स्कलों में ब्लैक बोर्ड पर लिखकर बच्चों से सवाल हल कराये गये. वहीं कहीं एक ही सवाल से दर्जनों बच्चों ने प्रश्नों का उत्तर लिखा. शिक्षकों के अनुसार कम संख्या में प्रश्न पत्र की आपूर्ति के कारण परेशानी हुई.

लापरवाही से कम हुए पश्न पत्र

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान विभा कुमारी ने बताया कि उन्हें कुढ़नी प्रखंड से 10.30 बजे ही स्कूल में प्रश्न पत्र कम पहुंचने की सूचना मिली. इसके बाद जिले से दो सदस्यीय टीम को प्रखंड भेजा गया. डीपीओ ने बताया कि स्कूलों में प्रश्न पत्र पहुंचाने में लापरवाही का मामला सामने आया है. इस आधार पर स्पष्टीकरण किया जा रहा है. दूसरी ओर शहर के स्कूलों में परीक्षा के दौरान अव्यवस्था की स्थिति दिखी.

बोरा पर बैठकर दिया परीक्षा

खादी भंडार स्थित नयी तालीम स्कूल में बच्चे बोरा पर बैठ कर परीक्षा दे रहे थे. वहीं शिक्षक की कुर्सी खाली थी. कई शिक्षक स्कूल परिसर में एक जगह बैठ कर बातों में व्यस्त थे. बता दें कि तीन वर्ष बाद सरकारी स्कूलों में अर्द्ध वार्षिक मूल्यांकन बुधवार से शुरू हुई है. इसमें जिले में करीब सात लाख से अधिक छात्र पहली से आठवीं कक्षा के लिए हो रही परीक्षा में शामिल हो रहे हैं. पहले दिन पहली पाली में तीसरी से आठवीं के लिए सोशल साइंस और दूसरी पाली में छठी से आठवीं के लिए विज्ञान की परीक्षा हुई.

प्लानिंग की कमी के कारण हुई गड़बड़ी

स्कूलों को प्रश्न पत्र वितरण के मामले में प्लानिंग की कमी के कारण गड़बड़ी हुई. प्रश्नपत्रों को संबंधित प्रेस से लेकर बीआरसी में पहुंचाना था. इसके बाद संकुल प्रभारियों को एचएम को प्रश्नपत्र का वितरण करना था. पहले पहुंचने वाले एचएम ने छात्र संख्या से कहीं अधिक, तो कहीं कम संख्या में प्रश्नपत्र हासिल कर लिये. इसका कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं कराया गया. इस वजह से परेशानी हुई.

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