पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधान परिषद में दो टूक कहा कि ”मैथिली का विकास -बिहार का विकास” है. मैथिली की पढ़ाई स्कूल में हो, इससे मैं सहमत हूं. इसमें क्या तकनीकी अड़चन है? इस संदर्भ में शिक्षा विभाग अपनी राय देगा.
उन्होंने कहा कि केवल मैथिली ही नहीं बल्कि मैं भोजपुरी के विकास के लिए भी प्रतिबद्ध हूं. उसकी भी पढ़ाई होनी चाहिए. शिक्षा मंत्री खुद मिथिला क्षेत्र के हैं. वे जल्दी ही इस मामले में सकारात्मक कदम उठायेंगे.
मुख्यमंत्री ने यह घोषणा राज्यपाल के अभिभाषण पर विपक्ष के उठाये सवालों के जवाब देने के बाद विशेष प्रसंग के दौरान कही.
राज्यपाल के अभिभाषण पर सीएम सरकार का पक्ष रख चुके थे, तब सभापति ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाना शुरू किया तो विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय और अन्य सदस्यों ने अपने संशोधन वापस लिए. तब सभापति ने कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा से भी पूछा तो मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री अगर मैथिली भाषा को स्कूल में पढ़ाने की बात मान लेते हैं तो मैं अपना संशोधन वापस ले लूंगा. मुख्यमंत्री ने तत्काल कहा कि मैं मैथिली को पढ़ाने के लिए तैयार हूं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ सदस्य शराबबंदी कानून हटाने की बात करते हैं. पर कांग्रेस की सदस्यता लेते वक्त शपथ दिलायी जाती है कि वे किसी तरह के मादक पदार्थों का सेवन नहीं करेंगे. शराब नहीं पीने की शपथ लेने वाले लोग ही शराबबंदी कानून को समाप्त करने की बात कहते हैं. अच्छा होगा कि इन्हें अपने शपथ-पत्र में बदलाव कर देना चाहिए.
सीएम ने कहा कि कोरोना की जांच में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है. कई लोगों के पास मोबाइल नंबर नहीं होता है. ऐसे में इनके रिकॉर्ड में ‘जीरो-जीरो’ भर दिया गया था. इसकी जांच के बाद पूरी स्थिति सामने आयी है. पूरे देश की तुलना में यहां 10 फीसदी से ज्यादा जांच हुई है. कोरोना में बिहार की रिकवरी रेट सबसे ज्यादा 99.20 है. मौत की दर 0.58 प्रतिशत है.
Posted by Ashish Jha