Bihar के इस जिले में केले की फसल में लगा गंभीर रोग, जानें रोग ग्रस्त फल खाने से आपको कितना है खतरा
Bihar के बेतिया में कई हिस्सों में केले में सिंगाटोका रोग एवं पनामा विल्ट रोग फैलने की संभावना है. इसे देखते हुए डीएम कुंदन कुमार ने कृषि विभाग अंतर्गत पौधा संरक्षण से संबंधित कार्यों की समीक्षा की.
Bihar के बेतिया में कई हिस्सों में केले में सिंगाटोका रोग एवं पनामा विल्ट रोग फैलने की संभावना है. इसे देखते हुए डीएम कुंदन कुमार ने कृषि विभाग अंतर्गत पौधा संरक्षण से संबंधित कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग-पौधा संरक्षण द्वारा सर्वेक्षण के क्रम में ज्ञात हुआ है कि जिन जगहों पर केला का अधिक उत्पादन होता है, वहां केला फसल में सिंगाटोका रोग एवं पनामा विल्ट रोग फैलने की संभावना है. जिले में इसकी रोकथाम के लिए विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुरूप समुचित उपाय सुनिश्चित किया जाय. उन्होंने निर्देश दिया कि केला उत्पादकों के बीच केला फसल में लगने वाले रोगों की पहचान एवं प्रबंधन का व्यापक प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित किया जाय.
रोग की पहचान और उपाय जरूरी
समीक्षा के क्रम में सहायक निदेशक पौधा संरक्षण रॉकी रावत ने बताया कि केला के सिगाटोका रोग अंतर्गत दो प्रकार के रोग पीला सिगाटोका एवं काला सिगाटोका आते हैं. उन्होंने केला के सिगाटोका रोग की पहचान और उनके उपाय भी बतायी. कहा कि पीला सिगाटोका-मायकोस्फेरेल्ला म्युसिकोला नामक फफूंद से लगने वाला रोग है. जिसके लक्षण केले के नये पत्ते के ऊपरी भाग पर हल्का पीला दाग या धारीदार लाइन के रूप में परिलक्षित होता है. बाद में धब्बे बड़े तथा भूरे रंग के हो जाते हैं, जिसका केंद्र हल्का कत्थई रंग होता है. काला सिगाटोका-मायकोस्फेरेल्ला फिजियेन्सिस नामक फफूंद से लगने वाला रोग है. जिसके लक्षण केले के पत्तियों के निचले भाग पर काला धब्बा, धारीदार लाईन के रूप में परिलक्षित होता है. मौके पर डीडीसी अनिल कुमार, सहायक समाहर्त्ता, सुश्री शिवाक्षी दीक्षित, डीएओ विजय प्रकाश, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण रॉकी रावत सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.
मानव शरीर पर नहीं होता खास प्रभाव
केले में लगने वाले दोनों रोग से ग्रसित केले की क्वालिटी पर खास असर पड़ता है. मगर इससे ग्रसित केले को खाने से मानव पर कोई खास असर अभी तक देखने को नहीं मिला है. हालांकि इससे उत्पादन बड़े स्तर पर प्रभावित होता है.