बिहार पुलिस की प्रमुख कड़ी सहायक अवर निरीक्षकों को शराबबंदी अभियान को लीड से मुक्त कर दिया गया है़. मद्य निषेध से जुड़े कांड का अनुसंधान भी वापस ले लिया गया है़. दारोगा से नीचे के स्तर के पदाधिकारी से तलाशी- छापेमारी, जब्ती – सूची आदि का काम कराने वाले पुलिस पदाधिकारियों पर कार्रवाई भी की जायेगी़. इससे राज्य भर के 7925 से अधिक एएसआइ से काम का बोझ कम होगा, वहीं, दारोगा का काम बढ़ जायेगा़.आइजी मद्य निषेध अमृत राज ने सभी एसएसपी- एसपी और रेल एसपी को पत्र लिखकर हिदायत दी है़.बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा 73 (इ) के अनुसार सहायक अवर निरीक्षक या इससे नीचे किसी पुलिस पदाधिकारी से अनुसंधान, तलाशी- जब्ती सूची की कार्रवाई नहीं करायी जा सकती है़.
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आइजी मद्य निषेध अमृतराज ने सभी जिलों के आरक्षी अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि जिले के सभी पुलिस पदाधिकारियों को लिखित में हिदायत दे दी जाये़ यदि जिले में मद्य निषेध के कांडों के अनुसंधान का जिम्मा एएसआइ कोटि के पुलिस पदाधिकारियों के पास है तो उसे इंस्पेक्टर या दारोगा को सौंप दें. वहीं, लापरवाही के लिए थानाध्यक्ष के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये है़ं
शराबबंदी को सफल बनाने के लिए राज्य भर में अभियान चलाया जा रहा है़.इस दौरान शराबबंदी का उल्लंघन करने वाले व माफिया इस आधार पर कोर्ट से छूट गये कि जांच एएसआइ ने की थी़.तलाशी में शराब की बरामदगी दारोगा से नीचे के स्तर के पदाधिकारी ने की थी़.अमृत राज का कहना है कि यह अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है़.इसका कुप्रभाव न्यायालय में विचारण के दौरान पड़ रहा है़. इसका सीधा लाभ अभियुक्तों को मिल रहा है़.