वर्ष 2006 से 2015 की अवधि में नियुक्त ऐसे शिक्षक, जिन्होंने जिनके शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक दस्तावेजों के फोल्डर वेव पोर्टल पर अपलोड हैं. उनके प्रमाण पत्रों को स्थापना से संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अभिप्रमाणित करेंगे. उसका प्रतिवेदन जिला के निगरानी विभाग के नामित पदाधिकारी को एक सप्ताह के अंदर वह मुहैया करायेंगे. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने इस संदर्भ में जिला शिक्षा पदाधिकारियों को आदेश जारी कर दिये हैं.
शिक्षा विभाग की तरफ से जारी आधिकारिक पत्र में बताया गया है कि इस मामले में निगरानी विभाग ने उच्च न्यायालय में 22 मार्च को दोबारा प्रति शपथ पत्र पेश किया है. जिसमें बताया है कि विभाग को अभी भी 75503 शिक्षकों के फोल्डर अभी तक अप्राप्त हैं. दरअसल जिन शिक्षकों ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को प्रमाण पत्र जमा नहीं कराये थे. उन्होंने आठ जनवरी, 2021 तक अपने प्रमाणपत्र विशेष विभागीय पोर्टल पर अपलोड करना था. हजारों शिक्षकों ने इस पर प्रमाणपत्र अपलोड किये हैं. इसके बाद भी काफी फोल्डर अभी तक अप्राप्त हैं. इस मामले की अगली सुनवाई अब सात अगस्त को होनी है, जिसमें प्रगति की समीक्षा की जानी है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने अपने आधिकारिक पत्र में शिक्षा पदाधिकारियों को साफ कर दिया है कि निगरानी विभाग को फोल्डर अविलंब जमा कराये जायें. इसमें किसी भी प्रकार का विलंब अवांछनीय होगा.
गौरतलब है कि रंजीत पंडित बनाम राज्य सरकार एवं अन्य से जुड़ी सीडब्ल्यूजेसी में पारित आदेश के तहत नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक दस्तावेजों की जांच करायी जा रही है. मालूम हो कि संबंधित अविध में पंचायती राज संस्थाओं की की तरफ से की गयी नियुक्तियों में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत आयी थी. तीन लाख से अधिक शिक्षकों के मामले जांच के दायरे में आये थे.