बिहार के बेटे ने बताया मंगल ग्रह का रंग क्यों है लाल, नासा के शोध को दी चुनौती, दुनियाभर में हो रही चर्चा
भागलपुर के मानिक सरकार निवासी व स्टोनी ब्रुक यूनिवर्सिटी न्यूयॉर्क के पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च एसोसिएट कौशिक मित्रा ने मंगल ग्रह के लाल रंग को लेकर एक नया शोध पत्र जारी किया है. उन्होंने नासा के शोध को गलत करार दे दिया है.
गौतम वेदपाणि , भागलपुर
भागलपुर के मानिक सरकार निवासी व स्टोनी ब्रुक यूनिवर्सिटी न्यूयॉर्क के पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च एसोसिएट कौशिक मित्रा ने मंगल ग्रह के लाल रंग को लेकर एक नया शोध पत्र जारी किया है. आइआइटी खड़गपुर से बीटेक व वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री लेने वाले कौशिक इस समय नासा द्वारा मंगल ग्रह पर भेजे गये पर्सीवेरेंस रोवर से मिल रहे सिग्नल को डिकोड कर रहे हैं. कौशिक ने बताया कि मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन की उपस्थिति, जीवन की संभावना को लेकर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं. नासा ने दशकों से मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश को लेकर कई तरह के शोध करता रहा है.
नासा के शोध को ऐसे बताया गलत
भागलपुर के कौशिक मित्रा ने पीएचडी कोर्स के दौरान वाशिंगटन विश्वविद्यालय में मंगल ग्रह के लाल रंग के होने से संबंधित रिसर्च किया. कौशिक ने दावा किया कि मंगल ग्रह पर मैंगनीज ऑक्साइड का सक्रिय हेलोजन उसके लाल रंग का मुख्य कारण है. न कि ऑक्सीजन के कारण. मंगल की चट्टानें और मिट्टी ऑक्सीजन के बजाय ब्रोमेट व क्लोरेट जैसे हैलोजन द्वारा ऑक्सीकृत होती हैं.
मंगल ग्रह के वातावरण में ऑक्सीजन बहुत कम
स्टोनी ब्रुक विश्वविद्यालय में पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च के दौरान इस बात को प्रूफ कर दिया है. यह रिसर्च पेपर कई प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित भी हुए हैं. मित्रा के अनुसार “हम आमतौर पर कहते हैं कि लोहे के आक्साइड के कारण मंगल लाल है. यदि लोहा इतना अधिक ऑक्सीकृत हो रहा है, तो मंगल ग्रह के वातावरण में बहुत अधिक ऑक्सीजन होने की संभावना है. लेकिन, यह मंगल के बारे में एक गलत धारणा है. बता दें कि मित्रा ने अपनी स्कूली शिक्षा शहर के सेंट जोसेफ स्कूल से पूरा किया है. कौशिक मित्रा के इस कामयाबी ने सिर्फ भागलपुर ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व पटल पर भारतवर्ष का नाम रौशन किया है. इस उपलब्धि पर परिवार के सदस्यों में हर्ष का माहौल है.