बिहार को जल्द मिलने जा रही इकोनॉमिक कॉरिडोर की सौगात, बदल जाएगी राज्य की तकदीर
Economic Corridor : वाराणसी-औरंगाबाद-चोरदाहा इकोनॉमिक कॉरिडोर के बनने के बाद वाराणसी से औरंगाबाद तक की यात्रा का समय एक घंटे कम हो जाएगा.
केंद्र की एनडीए सरकार उत्तर प्रदेश और बिहार के विकास के लिए लगातार परियोजनाएं लेकर आ रही है. इससे दोनों ही राज्यों में रहने वाले लोगों को फायदा होने वाला है. बता दें कि वाराणसी-औरंगाबाद-चोरदाहा इकोनॉमिक कॉरिडोर के जल्द ही चालू होने की उम्मीद है. बता दें कि यह एक्सप्रेसवे यूपी के वाराणसी से शुरू होकर बिहार के औरंगाबाद से होते हुए बिहार-झारखंड की चोरदाहा सीमा पर खत्म होगा.
कई पुल और पुलियों का निर्माण पूरा
वाराणसी-औरंगाबाद-चोरदाहा इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत जीटी को चौड़ा किया जाएगा, जिस पर तेजी से काम जारी है और जल्द ही खत्म होने की उम्मीद है. कई पुल और पुलियों का निर्माण किया जा चुका है. बता दें कि वाराणसी-औरंगाबाद-चोरदाहा आर्थिक गलियारा का वर्तमान प्रोजेक्ट 6 लेन का है. जिसे जरूरत पड़ने पर 8 लेन बनाया जा सकता है. इस सड़क के साथ-साथ एक पूरा का पूरा उद्योग सिस्टम का भी विकास किया जा रहा है. जिसमें फैक्ट्रियां, लॉजिस्टिक पार्क,टाउनशिप, शैक्षिक संस्थान शामिल है.
262 किलोमीटर लंबा है इकोनॉमिक कॉरिडोर
वाराणसी-औरंगाबाद-चोरदाहा 262 किलोमीटर लंबा है. जो जीटी रोड का हिस्सा है और इसे झारखंड के धनबाद तक बढ़ाया जाएगा. धनबाद तक बढ़ जाने के बाद इस कॉरिडोर का महत्व और बढ़ जाएगा क्योंकि फिर झारखंड से कच्चा माल निकलकर सीधे फैक्ट्रियों तक पहुंचाने में आसानीी होगी. यह इकोनॉमिक कॉरिडोर 5,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है. जिसका निर्माण एनएचएआई करवा रही है.
बदल जाएगी बिहार की किस्मत
बता दें कि वाराणसी-औरंगाबाद-चोरदाहा इकोनॉमिक कॉरिडोर के बनने के बाद वाराणसी से औरंगाबाद तक की यात्रा का समय एक घंटे कम हो जाएगा. साथ ही यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा बढ़ जाएगी, साथ ही ईंधन की खपत और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी. इसका सबसे ज्यादा फायदा बिहार के किसानों को होगा वह अपना सामान कम समय में दूसरे राज्यों में बेच सकेंगे, वहीं, व्यापार के लिहाज से भी यह कॉरिडोर महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
तीन राज्यों को जोड़ेगा चोरदाहा कॉरिडोर
बता दें कि यह परियोजना उत्तर प्रदेश और बिहार और झारखंड तीनों ही राज्यों को भी आपस में जोड़ेगी. इससे न सिर्फ वाराणसी से औरंगाबाद बल्कि नई दिल्ली को कोलकाता के साथ-साथ कानपुर, वाराणसी, औरंगाबाद और दुर्गापुर जैसे आर्थिक महत्व के अन्य शहरों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
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