बिहार में शब-ए-बारात की अफजल रात पर हुई विशेष नमाज, किस्मत, रोजी और अमन चैन की मांगी गयी दुआ

शब ए बरात मंगलवार को लोगों ने धूमधाम से मनायी औार इबादत की. राजधानी पटना व आसपास के तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों समेत फुलवारीशरीफ के शहरी तथा ग्रामीण में कब्रिस्तानों व मस्जिदों को भव्य रूप से सजाया गया था. शब-ए-बारात को लेकर शहर पूरी रात जगता रहा, मस्जिदें रौशन रहीं और कब्रिस्तान रहे गुलजार.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2023 9:57 PM

शब ए बरात मंगलवार को लोगों ने धूमधाम से मनायी औार इबादत की. राजधानी पटना व आसपास के तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों समेत फुलवारीशरीफ के शहरी तथा ग्रामीण में कब्रिस्तानों व मस्जिदों को भव्य रूप से सजाया गया था. शब-ए-बारात को लेकर शहर पूरी रात जगता रहा, मस्जिदें रौशन रहीं और कब्रिस्तान रहे गुलजार. लोग घरों एवं मस्जिदों में पाक कुरान शरीफ के आयतों की तिलावत करते रहे और घूम घूम कर कब्रिस्तानों एवं पीर फकीरों की मजारों पर जाकर अगरबत्तियां जलाकर फातेहा पढ़ा जाता रहा. बड़ों के साथ ही बच्चे भी सर पे टोपियां लगाए बुजुर्गों की मजारों पर दुआ मांगने गए. लोगो ने विशेष नमाजें अदा की . बच्चों में इस त्योहार को लेकर खासा उत्साह था. ऐसा माना जाता है की अल्लाह इस रात को फरियाद करने वालो के सारे गुनाह माफ कर देता है. रात के अंतिम समय में लोगों ने सेहरी खाकर बुधवार को रखे जाने वाले रोजे की नीयत की.

राजधानी पटना के मुस्लिम बहुल इलाको राजा बाजार समनपुरा सब्जीबाग पटना सिटी सुल्तानगंज पत्थर की मस्जिद अजीमाबाद पीरबहोर दमडिया अनिसाबाद पहाड़पुर दानापुर खगौल जमालुद्दीन चक समेत फुलवारीशरीफ के मिलकियाना, सैय्यादाना ,महत्वाना, बौली, नोहसा, नयाटोला, इशापुर, अलमीजान नगर, हारूननगर, मिल्लत कालोनी,मौला बाग ,कर्बला , लाल मियां की दरगाह ,शाही संगी मस्जिद ,खलीलपूरा ,सबजपूरा , गुली स्तान महल्ला , ,खानकाह ए मुजिबिया, कब्रिस्तान व तमाम मस्जिदे रात भर फातेहा पढ़ने आने वाले लोगों से गुलजार होता रहा . खानकाह मुजीबिया मजार, हाजी हरमैन कब्रिस्तान ,मख्दुम रास्ती ,टमटम पड़ाव , कब्रिस्तानों पर बड़ी संख्या में पहूचं कर लोगों ने अपने पूर्वजों की मजार पर फातिहा पढ़ी और उनकी मगफिरत के लिए दुआएं मांगी.

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शव ए बारात की रात को शव ए कद्र की रात भी कहा जाता है . इसकी शाम मगरीब की नमाज के बाद शब-ए-बारात की विशेष नमाज भी तमाम मुस्लिम इलाकों की विभिन्न मस्जिदों में अदा की गई. इसमें बुरी आफतों से दूरी रहे एवं जीवन में तरक्की बनी रहे ऐसी दुआ की गई . इससे पहले पूरा दिन शव ए बारात को लेकर खुदा की इबादत में ही गुजरा. दुसरे दिन मुस्लिम समुदाय के कई लोग एक दिन का विशेष रोजा रखा.

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