Bihar: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू कर रखी है. इसके बावजूद पड़ोसी राज्यों और नेपाल के रास्ते हमेशा बिहार में शराब पहुंचती रही है. यहां तक कि जहरीली शराब पीने से सैकड़ों लोगों ने जान भी गंवाई. कई ने आंखों की रौशनी गंवा दी. शराबबंदी कानून लागू रहने के बावजूद भी बिहार में आए दिन शराब माफिया पकड़े जाते हैं. विपक्ष इसे लेकर लगातार सरकार को कटघरे में भी खड़ा करता रहा है. पटना हाईकोर्ट ने भी हाल ही में शराबबंदी की विफलता को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी. इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. लेकिन, 15 दिसंबर से वह महिला संवाद यात्रा पर निकलने वाले हैं. इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह इस दौरान कुछ बड़े फैसले लेंगे.
महिलाओं ने दी थी शराबबंदी की सलाह
दरअसल, नीतीश कुमार को जीविका दीदियों के सम्मेलन में शराब से महिलाओं को होने वाली परेशानी का पता चला था. उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि गरीब और मजदूर वर्ग के लोग अपनी कमाई का पैसा शराब पीने में खर्च कर देते हैं. महिलाओं को घर चलाने में समस्या होती है. इसे लेकर घर में आए दिन मार-पीट का माहौल रहता है. इतना ही नहीं, शराब के सेवन से सेहत खराब होती है और सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में फैसला करते हुए नीतीश कुमार ने उसी वक्त बिहार में शराबबंदी का फैसला लिया था.
महिलाएं हटा सकती हैं शराबबंदी!
पंचायतों और निकाय चुनावों में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण नीतीश कुमार ने ही सबसे पहले दिया. इसके साथ ही नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया. जीविका दीदियों की बहाली की. बच्चियों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहन राशि दी. उनके ही कहने पर शराबबंदी कानून भी लाया. यही वजह है कि महिलाओं ने हमेशा नीतीश कुमार का साथ दिया है. नीतीश कुमार भी किसी महत्वपूर्ण निर्णय के पहले महिलाओं से रायशुमारी करते हैं. इसलिए ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि शराबबंदी खत्म करने या जारी रखने का फैसला भी नीतीश उनकी मर्जी जाने बगैर शायद ही लें.
15 दिसंबर से महिला संवाद यात्रा
15 दिसंबर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिला संवाद यात्रा पर निकलने वाले हैं. इसके लिए उन्होंने कैबिनेट से 225 करोड़ रुपए की स्वीकृति भी ले ली है. यानी इस बार भी वे महिलाओं से उनकी राय जानेंगे. संभव है कि वे शराबबंदी को लेकर भी चर्चा करें. महिलाओं की राय रही तो हो सकता है कि इस संबंध में वे बड़ा फैसला सकते हैं. बहरहाल, यह तभी संभव है, जब महिलाएं इसके लिए रजामंद हों. तात्कालिक तौर देखें तो शराबबंदी के प्रति सरकार का रुख सख्त ही रहने की संभावना है.