पटना. सितंबर में स्टार्टअप के लिए 10 हजार आवेदन आये. इनमें से केवल सौ आवेदन ही स्टार्टअप की परिभाषा पर खरे उतरे. शेष 99 सौ आवेदन लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों से संबंधित रहे. यह निष्कर्ष उद्योग विभाग की इसी हफ्ते में हुई स्क्रीनिंग के बाद सामने आये हैं. स्टार्टअप के लिए नये आवेदन एक दिसंबर से मांगे गये हैं.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक बिहार की स्टार्टअप से जुड़ी महत्वाकांक्षी पॉलिसी जून 2022 में प्रभावी हुई है. इसके तहत सितंबर में स्टार्टअप के आवेदन मांगे थे. आवेदन ऑनलाइन लिये गये थे. स्टार्टअप आवेदन के बाद आवेदकों का लिखित टेस्ट भी लिया गया था. दरअसल उद्योग विभाग ने स्टार्टअप के गंभीर आवेदकों की उम्मीद की थी. फिलहाल वह 11 नवंबर को एक कार्यक्रम के जरिये स्टार्टअप और लघु उद्योगों में अंतर स्पष्ट करेगा. यह कार्यक्रम सभी के लिए ऑनलाइन होगा.
विभागीय जानकार बताते हैं कि स्टार्टअप के लिए आये 10 हजार आवेदन की संख्या बताती है कि युवा अब उद्योग की तरफ तेजी से आकर्षित हुए हैं. बिहार स्टार्टअप पॉलिसी की सुविधा के लिए बिहार स्टार्टअप पोर्टल पर आवेदकों को निबंधन कराना होगा. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक बिहार में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए पटना के मौर्यालोक और फ्रेजर रोड स्थित स्टार्ट अप बिजनेस सेंटर के नाम से कोवर्किंग स्पेस का निर्माण किया जा रहा है. विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौंड्रिक ने इस आशय की जानकारी ट्विटर पर साझा की है.
वहीं, बता दें कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत क्षतिपूर्ति (कंपशेसन) नहीं मिलने से बिहार को इस साल चार हजार करोड़ रुपये से हाथ धोना पड़ेगा. जीएसटी के लागू होने के समय पांच साल के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया था, जिसकी मियाद 30 जून, 2022 को खत्म हो गयी. जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होने का खामियाजा बिहार सहित दूसरे राज्यों को भी भुगतना पड़ेगा.