24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार को जीएसटी क्षतिपूर्ति मिलना बंद, सालाना चार हजार करोड़ का घाटा, केंद्र से की मियाद बढ़ाने की मांग

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत क्षतिपूर्ति (कंपशेसन) नहीं मिलने से बिहार को इस साल चार हजार करोड़ रुपये से हाथ धोना पड़ेगा. जीएसटी के लागू होने के समय पांच साल के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया था, जिसकी मियाद 30 जून, 2022 को खत्म हो गयी.

कैलाशपति मिश्र, पटना. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत क्षतिपूर्ति (कंपशेसन) नहीं मिलने से बिहार को इस साल चार हजार करोड़ रुपये से हाथ धोना पड़ेगा. जीएसटी के लागू होने के समय पांच साल के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया था, जिसकी मियाद 30 जून, 2022 को खत्म हो गयी. जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होने का खामियाजा बिहार सहित दूसरे राज्यों को भी भुगतना पड़ेगा.

कोविड के दौरान राज्य के राजस्व संग्रह पर असर

बिहार जैसे राज्यों के राजस्व मद जीएसटी मद की राशि बड़ा योगदान है. कोविड के दौरान राज्य के राजस्व संग्रह पर असर पड़ा था. हालांकि, वित्तीय वर्ष2021-22 में राजस्व संग्रह 35846 करोड़ हुआ था, जिसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि भी शामिल है. राज्य अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए ऋण ले रहा है. ऋण मद की राशि में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

नुकसान की भरपाई पांच तक केंद्र को करना था

वर्ष 2020-21 में राज्य का कुल लोक ऋण 35915 था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़ कर 40756 करोड़ हो जाने का अनुमान है. अगर क्षतिपूर्ति नहीं मिलती है ,तो लोक ऋण की इस राशि में और बढ़ोतरी हो सकती है. जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था. तय हुआ था कि जीएसटी लागू होने से राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई अगले पांच पांच तक केंद्र करेगा.

राज्यों का रेवेन्यू 14 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा

तब माना गया था कि राज्यों का रेवेन्यू 14 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है. जीएसटी के पहले वैट के दौरान राज्यों को राजस्व ग्रोथ करीब 8.9 फीसदी था और बिहार का 13 फीसदी था. इस आधार पर जीएसटी के तहत प्रोटेक्टेड रेवन्यू में 14 फीसदी ग्रोथ नहीं होने पर क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया था.

केंद्र कहां से रहा था क्षतिपूर्ति

जीएसटी के तहत विलासितापूर्ण वस्तुओं पर सेस लगाया गया है. यह व्यवस्था राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई को देखते हुए हुई थी. केंद्र ने सेस वसूले जाने की अवधि बढ़ा कर जुलाई 2026 तक के लिए कर दी है. अब इस राशि से केंद्र सरकार कोरोना काल में राज्यों को दिये ऋण की कैपिटल और सूद की भरपाई करेगी.

इन पर जारी रहेगा सेस

इन दो वित्त वर्षों के दौरान राज्यों ने जो लोन लिया था, उसे चुकता करना है. इसके लिए तंबाकू, सिगरेट, हुक्का, एयरेटेड वॉटर, हाई-एंड मोटरसाइकिल, एयरक्राफ्ट, याट और मोटर व्हीकल्स पर सेस जारी रहेगा. यानी इनके लिए अब भी उपभोक्ता को अधिक कीमत चुकानी होगी. उल्लेखनीय है कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास स्थानीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं पर अप्रत्यक्ष कर लगाने की शक्ति नहीं रह गयी है.

अब तक मिली क्षतिपूर्ति

वर्ष क्षतिपूर्ति (करोड़ में)

2017-18 2571

2018-19 3041

2019-20 3525

2020-21 4359

बोले वित्त मंत्री

वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि अगले पांच साल यानी 2027 तक बढ़ाने की मांग करेगी. क्षतिपूर्ति अवधि नहीं बढ़ायी गयी तो बिहार को बड़ा नुकसान होगा और विकास की कई योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें