कैलाशपति मिश्र, पटना. पुरानी और नयी बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड ऋण योजना की ब्याज दर को लेकर पेच फंसा गया है. पुरानी योजना के तहत अप्रैल, 2018 से पहले जिन विद्यार्थियों ने ऋण लिये थे, उसकी ब्याज दर करीब 10 फीसदी थी. इसके बाद की अवधि में बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की ब्याज दर चार फीसदी तय की गयी है.
पुरानी योजना में ब्याज की दर अधिक होने से विद्यार्थी ऋण चुकता नहीं कर रहे हैं और बैंकों का बकाया बढ़ता जा रहा है. बैंकों का करीब 297 करोड़ रुपये फंसा है. चूंकि इस ऋण योजना की गारंटर सरकार है, इसलिए बैंक सरकार से इस ऋण को ओवरटेक करने की गुहार लगा रहे हैं. दूसरी तरफ, ऋण लेने वाले छात्रों का भी यही तर्क है कि सरकार इसकी भरपाई करे. राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को सुलभ ऋण उपलब्ध करवाने के लिए सितंबर, 2016 में बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड (एससीसी) योजना की शुरुआत की थी.
बैंकों ने बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड (एससीसी) योजना का ब्योरा राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति को भेजा है. इसके अनुसार, वर्ष 2016-17 और 2017-18 के दौरान 12669 छात्रों के आवेदन स्वीकृत किये गये और 12475 छात्रों को 316 करोड़ रुपये दिये गये. अब तक छात्रों ने बैंकों को करीब 19 करोड़ का ऋण भी वापस किया है. लेकिन, अधिकतर छात्र अधिक ब्याज दर का हवाला देकर ऋण वापस नहीं कर रहे हैं.
छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए चार लाख रुपये एससीसी के तहत देने का प्रावधान है. मोरोटोरियम की अवधि की समाप्ति के पश्चात दो लाख तक के ऋण को अधिकतम 60 मासिक किस्तों में और दो लाख से ऊपर के ऋण को अधिकतम 84 मासिक किस्तों में वापस करने का प्रावधान है. निर्धारित अधिकतम अवधि से पूर्व ऋण वापसी की स्थिति में 0.25% ब्याज दर की छूट देने की योजना है. ब्याज की नयी दर 4 % है,जबकि वर्ष अप्रैल 2018 के पहले लगभग दस फीसदी की दर है.
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वर्ष – लक्ष्य – ऋण मिले
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2018-19 : 50000 – 14999
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2019-20 : 75000 – 45051
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2020-21 : 100000 – 22778
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2022-23 : 100000 – 26191
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2023-24 : 83000 – प्रक्रिया में
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विशेषज्ञों का कहना है कि ऋणी द्वारा डिफॉल्ट होने की दशा में बैंक द्वारा सरकार के समक्ष दावा करने के पूर्व दो कार्रवाई करनी होगी. पहला, ऋण खाते को एनपीए घोषित करना होगा और दूसरा, बैंक द्वारा निर्धारित सर्टिफिकेट केस की प्रक्रिया का पालन करना होगा. इसके लिए बैंक अब ऋणी छात्रों को नोटिस भेज रहे हैं.