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Bihar Success Story : दो बेटियों को ग्रेजुएशन करा रही मुजफ्फरपुर की ‘बालिका वधू’

जीविका से उसकी और उसके परिवार की तस्वीर ही बदल गयी. नीतीश सरकार से इतनी प्रभावित है कि छोटे बेटे का नाम ही नीतीश कुमार रख दिया है.

धनंजय पांडेय, मुजफफरपुर- सामाजिक बदलाव का नजीर बन चुकी इंदू देवी वर्ष 1999 में मुशहरी ब्लॉक के प्रह्लादपुर में बालिका वधू बनकर आयी थी. किस्मत ऐसी कि आंखों में आंसू लिए सुबह से शाम हो जाती. पढ़ना चाहती थी, लेकिन 14 साल की उम्र में ही घरवालों ने शादी कर दी. तब वह 10वीं में थी. शादी के बाद पढ़ाई छूट गयी. साथ ही वह तमाम सपने भी आंखों में सूख गये थे. मामूली कमाई वाला पति अपनी अधिकतर आमदनी नशे में उड़ा देता, जो परिवार में कलह का वजह भी बन गया.

2008 में, यानी शादी के 10 साल बाद उसे उम्मीद की किरण के रूप जीविका समूह से जुड़ने का मौका मिला. तब से उसकी और उसके परिवार की तस्वीर ही बदल गयी. नीतीश सरकार से इतनी प्रभावित है कि छोटे बेटे का नाम ही नीतीश कुमार रख दिया है.

एमआइटी परिसर में मुख्यमंत्री की समाज सुधार यात्रा के दौरान गैलरी में बैठी इंदू से मुलाकात हुई, तो उसके चेहरे पर खुशी के साथ संतुष्टि के भी भाव थे. पीछे छूट चुके सपनों का मलाल तो है, लेकिन आज उसने जो हासिल किया है, उससे काफी खुश है.

समस्तीपुर के पूसा की रहने वाली इंदू की शादी प्रह्लादपुर के रहने वाले कमलेश पासवान से 1999 मे हुई थी. बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. मुशहरी में ही साइिकल पंचर बनाने वाली कंपनी में कमलेश काम करते थे. जो कमाते, उससे नशा कर लेते. इससे तबीयत भी खराबBहो गयी. शादी के दो साल बाद ही दो बेटियां हो गयी. इलाज के लिए भी पैसे नहीं थे. किसी तरह से काम चलता रहा. इस बीच दो बेटे भी हो गये.

इंदू कहती है कि आज वो कमा रही है, पति ने भी नशा छोड़ दिया है. उसकी दोनों बेटी पढ़ रही है. उसने खुद 10वीं से आगे की पढ़ाई नहीं की, लेकिन उसने अपनी बेटियों को ग्रेजुएट कराने का काम किया है. बेटियों की शादी के सवाल पर वो कहती है कि पढ़ाई कर लेगी तो उसे अच्छी नौकरी लग जायेगी. शादी फिर करेंगे.

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